राजस्थान के हजारों वेटनरी डॉक्टर्स सरकार से नाराज हैं. वे शनिवार 16 सितंबर को सामूहिक अवकाश पर हैं. साथ ही वेटनरी डॉक्टर्स ने किसी भी तरह के काम का बहिष्कार किया है. डॉक्टर्स की मांग है कि उन्हें नॉन प्रैक्टिस अलाउंस यानी एनपीए का लाभ दिया जाए. ये डॉक्टर प्रदेश में बीते 20 साल से एनपीए की मांग कर रहे हैं. लेकिन इनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है. इसीलिए नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (NPA) की मांग को लेकर पशुचिकित्सक शनिवार से संपूर्ण कार्य बहिष्कार एवं आंदोलन शुरू कर रहे हैं. सभी वेटनरी डॉक्टर अपने-अपने जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
वेटनरी डॉक्टर नरेंद्र जाखड़ ने किसान तक को बताया कि एनपीए की मांग को लेकर 16 सितंबर को राज्य के सभी पशुचिकित्सक सामूहिक अवकाश पर रहकर हर जिला मुख्यालय पर विरोध-प्रदर्शन करेंगे. साथ ही मांग नहीं माने जाने पर वेटरनरी डॉक्टर्स एसोसिएशन और पशुचिकित्सक संघ ने संयुक्त आह्वान कर 18 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए ज्ञापन सौंपा है. वहीं, जयपुर जिले के पशुचिकित्सक एक हजार पशुपालकों के साथ पशुपालन निदेशालय, टोंक रोड पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.
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इस विरोध में पशुचिकित्सकों के साथ आंदोलन में शामिल होंगे पशुबीमा गारंटी कार्ड धारक पशुपालक, गौशाला संघ के पदाधिकारी, प्रगतिशील पशुपालक और अन्य स्टेक होल्डर्स शामिल हो रहे हैं. जाखड़ ने बताया कि वेटनरी डॉक्टरों के इस विरोध प्रदर्श में प्रदेश भर में हर जिला मुख्यालय पर 40 हजार पशुपालकों के भाग लेने की संभावना है.
एनपीए की मांग के साथ वेटनरी डॉक्टरों का पूरा संघर्ष वेटनरी डॉक्टर्स एसोसिएशन और पशु चिकित्सक संघ राजस्थान के बैनर तले हो रहा है. वेटनरी डॉक्टर नरेंद्र जाखड़ किसान तक से बात करते हैं. वे बताते हैं कि पांचवें, छठवें और सातवें वेतन आयोग में एनपीए के लिए स्पष्ट सिफारिश की गई है. लेकिन पिछले 20 सालों से सरकारें हमें धोखा दे रही हैं.
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बीते दिसंबर में भी हमने 40 दिन का धरना शुरू किया था. तब प्रदेश के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया और अतिरिक्त मुख्यसचिव वित्त विभाग ने एनपीए के लिए अपनी प्रदिबद्धता जताई. लेकिन अब जब प्रदेश में चुनावों की तैयारी हो गई है तब भी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. इसीलिए हमने सर्वसम्मति से ’कामधेनु पशुबीमा योजना’ के साथ गोपालन विभाग के सभी कामों के बहिष्कार का फैसला किया है.
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