राजस्थान सरकार की करीब 800 करोड़ रुपये की कामधेनु पशु बीमा योजना संकट में पड़ गई है. वजह है प्रदेश के वेटनरी डॉक्टर्स का हड़ताल पर चले जाना. प्रदेश के वेटनरी डॉक्टर्स ने मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना का बहिष्कार कर दिया है. वे 18 सितंबर से कार्य बहिष्कार कर हड़ताल पर हैं. इससे ना तो कहीं दुधारू पशुओं का बीमा हो पा रहा है और ना ही पशुओं का इलाज हो पा रहा है. पशु चिकित्सक नॉन प्रेक्टिस अलाउंस की मांग लंबे वक्त से कर रहे हैं. लेकिन सरकार द्वारा अब तक मांगें नहीं माने जाने से पशुचिकित्सक काम पर नहीं हैं. डॉक्टरों की नाराजगी के चलते राजस्थान सरकार की ढोल-बाजों के साथ शुरू की गई योजना जमीन पर नहीं उतर पाई है. मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के तहत प्रदेश में करीब 80 लाख दुधारू पशुओं का बीमा होना है.
लेकिन मिली जानकारी के अनुसार अब तक 500 पॉलिसी ही हो पाई हैं. यह तब है जब योजना के लिए वित्त विभाग ने 300 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं. लेकिन पशुपालकों को अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
पशुचिकित्सकों की हड़ताल से सबसे ज्यादा नुकसान पशुपालकों का हो रहा है. बीते 20 दिन में प्रदेश में करीब 28-30 हजार पशुओं की मौत हो चुकी है. लेकिन बीमा कवर नहीं होने से इन्हें पशु बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. वहीं, पिछले महीनों महंगाई राहत कैंपों में जो गारंटी कार्ड सरकार की ओर से पशुपालकों को बांटे गए थे, उनसे भी राहत नहीं मिल पा रही है. पशुपालक इन गारंटी कार्डों को लेकर मुआवजा मांग रहे हैं.
ये भी पढ़ें- क्यों हड़ताल पर हैं राजस्थान के वेटनरी डॉक्टर्स, क्या है NPA जिसकी मांग हो रही?
वहीं, पशु चिकित्सकों की हड़ताल के कारण बीते पांच दिन से पशुओं का इलाज नहीं हो रहा है. पशु चिकित्सालयों से पशुपालक निराशा लेकर लौट रहे हैं. क्योंकि वहां डॉक्टरों के होते हुए भी पशुओं का इलाज नहीं किया जा रहा.
मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना पशु चिकित्सकों के ही भरोसे है. क्योंकि इस योजना में वेटनरी डॉक्टर्स को डोर-टू-डोर सर्वे करने के लिए जाना होता है. वेटनरी डॉक्टर एसोसिएशन के मीडिया इंचार्ज नरेंद्र जाखड़ ने किसान तक को बताया कि यह काम उनकी ड्यूटी के अलावा दूसरा काम है. इसके बदले एनपीए देने का प्रावधान है. केन्द्रीय वेतन आयोग ने भी इसकी सिफारिश की है. इसीलिए देश के 17 राज्यों के वेटनरी डॉक्टर्स को एनपीए दिया जा रहा है.
ये भी पढे़ं- Data Story: सोलर पंप लगाने में पहले पायदान पर राजस्थान, आंकड़ों के साथ जानिए पूरी बात
डॉ. नरेन्द्र जाखड़ बताते हैं कि ड्यूटी के अलावा जो काम सरकार उनसे कराती है, वे एनपीए यानी नॉन प्रेक्टिस अलाउंस के दायरे में आते हैं. इसीलिए एनपीए वेटनरी डॉक्टर्स का हक है. जाखड़ कहते हैं कि डॉक्टर प्रदेश में बीते 20 साल से एनपीए की मांग कर रहे हैं. लेकिन इनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है. इसीलिए नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (NPA) की मांग को लेकर पशुचिकित्सक 18 सितंबर से पूर्ण बहिष्कार पर हैं.
राजस्थान सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत इसी महीने 6 सितंबर को भीलवाड़ा में की गई थी. कांग्रेस ने तब अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बुलाया था. खुद सीएम अशोक गहलोत और खड़गे ने योजना की शुरूआत की. इसी साल बजट में गहलोत ने पशु बीमा की घोषणा की थी.
योजना के तहत एक पशुपालक के दो दुधारू पशुओं का बीमा कराया जाना है. महंगाई राहत कैंपों में भी सरकार ने करीब 1.10 करोड़ परिवारों का पंजीयन कर गारंटी कार्ड बांटे थे. लेकिन हड़ताल के कारण बीमा नहीं हो पा रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today