भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की तरफ से बताया गया है कि इस बार मॉनसून चार दिन पहले ही पहुंच जाएगा. आईएमडी की मानें तो इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के एक जून की सामान्य तारीख से पहले दक्षिणी राज्य केरल पहुंचने की उम्मीद है और यह 27 मई को ही दस्तक दे देगा. अगर मानसून इस तारीख को भारत पहुंचता है तो फिर यह साल 2009 के बाद पहला मौका होगा जब यह इतनी जल्दी भारत में दस्तक देगा.
दक्षिण-पश्चिम मानसून का भारत में आगमन केरल से माना जाता है जब यह 1 जून के आसपास वहां पर दस्तक देता है. इससे पहले 23 मई 2009 को मॉनसून इतनी जल्दी भारत पहुंच गया था. मॉनसून के जल्दी पहुंचने से किसानों को फायदा होने की उम्मीद है. मॉनसून के जल्दी आने से खरीफ फसलों का काम भी जल्दी शुरू हो सकेगा. वहीं इसके पूर्वानुमान के साथ ही किसान खुद को इसके लिए आसानी से तैयार कर सकेंगे.
भारत में मॉनसून के आगे बढ़ने का संकेत केरल में इसके आते ही मिल जाता है. फिर यह गर्म और शुष्क मौसम से बरसात के मौसम में होने वाले बदलाव को बताने वाला एक अहम संकेत होता है. दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर 1 जून को केरल में आता है. फिर सात दिनों के स्टैंडर्ड डिविएशन के बाद आठ जुलाई तक यह पूरे देश को कवर कर लेता है. मौसम विभाग के अनुसार, 'इस साल, दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में 27 मई को दस्तक देगा जिसमें ± 4 दिन की मॉडल एरर होगी.'
विभाग ने पूर्वानुमान लगाने के लिए मॉडल में छह पूर्वानुमानकर्ताओं का प्रयोग किया है. पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 20 सालों में (2005-2024) के दौरान केरल में मानसून के आगमन की तारीख के बारे में आईएमडी के परिचालन पूर्वानुमान सही साबित हुए. हालांकि 2015 में पूर्वानुमान गलत साबित हो गए थे उस समय मॉनसून 4 दिन देर से पहुंचा था. मॉडलों में इसके तरफ से प्रयोग हुए छह पूर्वानुमानों में उत्तर-पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान, दक्षिण प्रायद्वीप में मानसून-पूर्व वर्षा का चरम, समुद्र तल पर औसत दबाव शामिल हैं.
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