मॉनसून का मौसम किसानों के लिए उम्मीद लेकर आता है, लेकिन कभी-कभी यही बारिश आफत बन जाती है. इस साल जुलाई 2025 में देश के कई हिस्सों में सामान्य से लगभग 15-20 फीसदी ज़्यादा बारिश दर्ज की गई है. अब मौसम विभाग का अनुमान है कि अगस्त 2025 में भी बारिश का यह दौर जारी रहेगा और कई इलाकों में भारी वर्षा हो सकती है. यह स्थिति खरीफ की मुख्य फसलों जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, कपास, दालों और विशेषकर गन्ने की फसल के लिए एक बड़ा खतरा है. खेत में पानी का जमाव फसलों का सबसे बड़ा दुश्मन है, क्योंकि इससे पौधों की जड़ों को हवा नहीं मिल पाती और वे सड़ने लगती हैं. जिन खेतों में पानी भर गया है, वहां से तुरंत जल निकासी के प्रयास करें. खेत के किनारों पर या बीच में उथली नालियां बनाएं ताकि बारिश का फालतू पानी तुरंत खेत से बाहर निकल जाए.
विशेषज्ञों के अनुसार बाढ़ से बचने के लिए दलहनी और तिलहनी फसलों जैसे अरहर, मक्का, मूंगफली फसलों के लिए ऊंची क्यारियों पर बुवाई करना बहुत फायदेमंद होता है. अगर फसल पहले से लगी है, तो क्यारियों पर और मिट्टी चढ़ाकर उन्हें ऊंचा करें. इन फसलों की जड़ें नाजुक होती हैं और 24 घंटे से ज़्यादा पानी भरा रहने पर नष्ट हो सकती हैं. लगातार बारिश से मिट्टी मुलायम हो जाती है और तेज हवा से गन्ने की फसल गिरने का खतरा बढ़ जाता है. अगर गन्ना गिर रहा है, तो 24 घंटे के भीतर उसे दोबारा खड़ा करके आपस में बांधने का प्रयास करें. खेत से पानी निकलने के बाद, बसंतकालीन गन्ने की फसल को नुकसान से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम या थायोफिनेट 1 लीटर और एनपीके 5 किग्राको 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इससे पौधे की बढ़वार फिर से शुरू हो जाएगी.
अगर बाढ़ के कारण धान की फसल पूरी तरह खराब हो गई है, तो भी हिम्मत न हारें. आप अगस्त के अंत तक धान की पुरानी पौध लगभग 40-45 दिन पुरानी की दोबारा रोपाई कर सकते हैं. मध्यम या अधिक गहरे खेतों के लिए कम अवधि वाली किस्मों का चुनाव करें. अगर धान की रोपाई संभव न हो, तो खेत से पानी निकलने के बाद बची हुई नमी का फायदा उठाएं. खेत की मेड़ों को ठीक करें, खरपतवार हटा दें और अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक मसूर, मटर, चना जैसी दलहनी फसलों के बीज का छिड़काव कर बुवाई कर दें.
अक्सर पानी कुछ दिनों में उतर जाता है और फसल बच जाती है, लेकिन पौधे कमजोर हो जाते हैं. खेत में जहां-जहां पौधे मर गए हैं, उन खाली जगहों पर उसी खेत की पुरानी पौध या किसी स्वस्थ पौधे से कल्ले निकालकर लगा दें. पानी उतरने के तुरंत बाद फसल को ताकत देने के लिए प्रति एकड़ लगभग 18-20 किलो यूरिया डालें. इससे पौधों में नई पत्तियां और कल्ले तेजी से निकलेंगे.
बाढ़ के बाद खेतों में झुंड में हमला करने वाली इल्ली का खतरा बहुत बढ़ जाता है, जो रात में पूरी फसल को चट कर सकती है. पानी उतरने के बाद अपने खेतों की रोज निगरानी करें. पत्तियों पर 1-2 इल्लियां दिखाई दें, तो तुरंत कीटनाशक का छिड़काव करें. यह काम आसपास के सभी किसान मिलकर एक साथ करें ताकि कीट एक खेत से दूसरे खेत में न जा सकें. इसके लिए थायमेथोक्साम या इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशकों का इस्तेमाल विशेषज्ञ की सलाह से करें. सभी उपायों के बाद भी प्राकृतिक आपदा से नुकसान की आशंका बनी रहती है. इसलिए अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित करने के लिए फसल बीमा ज़रूर कराएं, ताकि किसी भी अनहोनी की स्थिति में आपको आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े.