मॉनसून के महीने में होने वाली बारिश न सिर्फ लोगों को गर्मी से राहत दिलाती है, बल्कि कृषि व्यवस्था को बनाए रखने में भी सबसे बड़ी भूमिका निभाती है. जिसके कारण मॉनसून की बारिश का इंतजार सबसे ज्यादा किसानों को रहता है. खेतों की तैयारी से लेकर फसल की बुआई तक के लिए किसानों की निर्भरता हमेशा बारिश पर ही रहती है. ऐसे में इस साल के आंकड़ों ने किसान से लेकर सरकार तक के होश उड़ा दिए हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 100 साल में ये है सबसे सूखा अगस्त साबित हुआ है. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि इस सूखे का खरीफ कि फसलों पर क्या असर पड़ता है. क्या कहती है रिपोर्ट आइए जानते हैं.
पिछले 100 साल में सबसे कम बारिश इस साल यानी अगस्त 2023 में देखने को मिल सकती है. अल नीनो के प्रभाव के कारण देश के कई राज्यों में मॉनसूनी बारिश में भारी कमी देखी जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौसम विभाग के दो अधिकारियों के हवाले से कहा है कि 1901 के बाद अगस्त 2023 में देश में सबसे कम बारिश होने की आशंका है.
12 दिन के ब्रेक के बाद 21 से 28 अगस्त तक मॉनसून के एक और कमजोर चरण में जाने की संभावना है. मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि इस महीने पूरे देश में 36% कम बारिश हुई है. मौसम विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि अगस्त 2023 भारत के इतिहास में सबसे शुष्क अगस्त में से एक हो सकता है. यह महीना खत्म होने में सिर्फ 10 दिन बचे हैं. मौसम विज्ञानी और केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव, एम राजीवन ने कहा, “अगस्त 2023 में संभावित रूप से लगभग 40% वर्षा की कमी देखी जा सकती है - जो 2005 में दर्ज 25% की कमी (1913 के बाद इतिहास में सबसे शुष्क अगस्त) से अधिक है.
ये भी पढ़ें: Tomato Price: आ गई टमाटर वाली गुड न्यूज, आज से 40 रुपये किलो होगा दाम, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
देश में कम हो रही बारिश के कारण खाद्य महंगाई में उछाल देखने को मिल सकता है. क्योंकि बारिश की कमी का असर खरीफ फसलों के उत्पादन पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है. इस खरीफ सीजन में चावल से लेकर सोयाबीन तक के उत्पादन में कमी आ सकती है. इतना ही नहीं कम बारिश से आगामी रबी सीजन में उगाई जाने वाली फसलों के उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है. जिसमें गेहूं और सरसों शामिल हैं. गेहूं की खेती के लिए खेतों में नमी का होना बहुत जरूरी है. ऐसे में बारिश न होने कि वजह से खेतों में नमी की मात्रा कम हो सकती है. जिस वजह से फसलों के उत्पादन पर गहरा असर पड़ सकता है.
इस मॉनसून सीजन में कम बारिश के कारण महंगाई बढ़ने का खतरा है. जुलाई महीने के लिए घोषित आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.44 फीसदी और खाद्य महंगाई दर 11.51 फीसदी पर पहुंच गई है. साग-सब्जियों के अलावा गेहूं, चावल और दालों की कीमतें अभी से बढ़ने लगी हैं. और अगर बारिश कम हुई तो महंगाई और बढ़ सकती है.