अल नीनो को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. मौसम विभाग ने जहां इसके मई महीने में आने की आशंका जाहिर की है. वही कुछ हलकों में अगस्त महीने में इसके तेज होने की बात कही जा रही है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त महीने में अल नीनो का प्रभाव दिखने की 90 परसेंट तक संभावना है. अल नीनो आता है तो एशिया और अमेरिका के कई देशों में सूखा पड़ सकता है. भारत के लिए कुछ गंभीर स्थिति इसलिए कही जा रही है क्योंकि बीच मॉनसून में ही इसके शुरू होने की संभावना है. अगस्त महीने में अल नीनो के हालात बनने की रिपोर्ट अमेरिक के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) ने दी है.
सीपीसी ने अपने ताजा अपडेट में कहा कि अगले कुछ महीनों में मौसमी बदलाव देखा जाएगा जिसमें 90 फीसद तक संभावना है कि अगस्त में अन नीनो का असर देखा जा सकता है. कुछ इसी तरह की बात ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ मेटरोलॉजी ने भी कही है जिसमें जुलाई महीने में अल नीनो के असर की आशंका जताई गई है.
अल नीनो के बारे में कुछ बातें संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ने भी कही हैं. इस संस्था का कहना है कि पिछले तीन साल में दुनिया ने ला नीना का असर देखा जिसमें कुछ फसलों का उत्पादन बहुत अच्छा रहा तो कुछ का कम. लेकिन अब स्थिति अल नीनो की बनती दिख रही है. हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि देश-दुनिया में अल-नीनो का प्रभाव कितना बुरा होगा.
ये भी पढ़ें: Cyclone Mocha: तेज आंधी और बारिश के लिए रहें तैयार, IMD ने इन 6 राज्यों के लिए जारी किया अलर्ट
भारत की जहां तक बात है तो यहां मौसम विभाग ने मॉनसून के बीच अल नीनो की आशंका जताई है. हालांकि अभी इस पर स्पष्ट नहीं है कि किस महीने में अल नीनो सबसे अधिक प्रभावी होगा और बारिश पर असर डालेगा. इस बारे में मौसम विभाग पूरी रिपोर्ट अभी देने वाला है. अगली रिपोर्ट में अल नीनो के बारे में पूरी बात निकल कर सामने आएगी. विदेशी एजेंसियां पहले से बता रही हैं कि जुलाई के बाद अल नीनो आ सकता है. लेकिन भारत के बारे में जब तक मौसम विभाग पुष्ट नहीं करे, तब तक अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.
ये भी पढ़ें: Cyclone Mocha: चक्रवाती तूफान की वजह से बदलेगा मौसम का हाल, IMD ने जारी किया पूर्वानुमान
अगर अल नीनो आता है, तो उससे बारिश पर बेहद बुरा असर होगा. सूखे की आशंका प्रबल होगी. फसलें मारी जाएंगी और पैदावार घटेगी. इससे महंगाई बढ़ने के आसार होते हैं. तभी सरकार की तरफ से एडवाइजरी में कहा जा रहा है कि बीजों की उपलब्धता पर्याप्त होनी चाहिए ताकि सूखे की स्थिति में दोबारा फसलों की बुआई की समस्या खड़ी न हो. बीज उपलब्ध रहेंगे तो दोबारा बुआई करके भी खेती का काम चलाया जा सकता है.