Assam Flood: असम में बाढ़ से बिगड़े हालात, फसल नष्ट होने से खून के आंसू रो रहे किसान

Assam Flood: असम में बाढ़ से बिगड़े हालात, फसल नष्ट होने से खून के आंसू रो रहे किसान

असम में ऊपरी जिले के कई इलाकों में भीषण बाढ़ के हालात हैं. किसानों की कई फसलें चौपट हो गई हैं. खेतों में चारों ओर पानी भर गया है जिससे फसलें बर्बाद हो गई हैं. यहां तक कि लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. किसान सरकार से फसलों के मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

असम के कई जिलों में बाढ़ के हालात हैंअसम के कई जिलों में बाढ़ के हालात हैं
क‍िसान तक
  • Dibrugarh,
  • Jun 20, 2023,
  • Updated Jun 20, 2023, 5:08 PM IST

ऊपरी असम के कई इलाकों में बाढ़ के हालात हैं. इससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कई जिले ऐसे हैं जो पूरी तरह से पानी से घिर गए हैं. लोगों का घर से निकलना दुश्वार हो गया है. इन इलाकों में लोग कस्ती का सहारा ले रहे हैं. बाढ़ का प्रकोप सबसे अधिक किसानों पर पड़ा है. यहां के किसान खून के आंसू रो रहे हैं. इन किसानों की कई फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं. इससे किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर गया है. चारों ओर खेतों में पानी ही पानी दिख रहा है. ऊपरी असम के कई जिले हैं जहां लोगों की आय का मुख्य स्रोत कृषि है. लेकिन बाढ़ में यह मुख्य स्रोत बर्बाद हो गया है. किसानों का कहना है कि बाढ़ ने केवल फसलें नष्ट नहीं कीं बल्कि जिंदगी की पूरी उम्मीद खत्म कर दी है. 

हालत ये है कि बीते कई दिनों से चारों ओर पानी के बीच जलबंदी हुए लोग सूखी जमीन देखने के लिए तरस रहे हैं. एकमात्र छोटी नावों के सहारे दिन गुजार रहे लोगों को वर्तमान की व्यवस्था से विश्वास उठ चुका है. पिछले कुछ दिनों से यह हाल है पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वांनंद सोनोवाल के गृह पंचायत के अंर्तगत दधिया अंचल का. भारी बारिश के कारण ब्रह्मपुत्र नदी अपना रौद्र रूप दिखा रही है. इस साल की पहली बाढ़ ने दधिया, चारसूती सहित कई गांवों के लोगों की जिंदगी पर इतना भयंकर प्रहार किया है कि इनकी हिम्मत अब जबाब देने लगी है. 

ये भी पढ़ें: Biparjoy की तबाही से जूझ रहे किसानों को मिलेगी राहत, फसल नुकसान का मुआवजा देगी गुजरात सरकार

स्थानीय लोगों ने इस विषय में बताया कि उन्हें नहीं लगता कि वे इसी देश के निवासी हैं. सालों-साल से उन्हें इस दयनीय अवस्था पर छोड़ दिया गया है. उन्हें फिर से बसाने के सरकारी आश्वासन अब एक मजाक जैसा लगने लगा है. इसके साथ ही नदी के किनारे जन्म लेना उनके लिए गुनाह साबित हो रहा है. हर साल बाढ़ की मार झेलना उनकी नियति बन चुकी है.

खून के आंसू रोने को मजबूर 

बाढ़ के प्रकोप के कारण लोग खून के आंसू रोने को मजबूर हैं. जहां तक नजर जाती है, वहां सिर्फ और सिर्फ पानी नजर आता है. ग्रामीणों और किसानों की जिंदगी नाव के सहारे हो गई है. बाढ़ ने किसानों के खेत को बर्बाद कर दिया है. इस बारे में स्थानीय लोगों ने बताया कि खेती ही इनके आय का मुख्य स्रोत है, लेकिन बाढ़ ने सिर्फ उनके फसल को ही नष्ट नहीं किया, उनके जीवन यापन के एकमात्र उम्मीद पर भी पानी फेर दिया है. सालभर की खेती से वे अपने पूरे साल का खर्च निकालते थे. लेकिन इस बार बाढ़ के पानी ने पूरी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. किसान सरकार से आग्रह करते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द फसली मुआवजा दिया जाए.

ये भी पढ़ें: Monsoon 2023: झारखंड पहुंचा मॉनसून, अब किस राज्य में कब तक लेगा एंट्री, पढ़ें पूरा अपडेट

पीने के पानी को तरस रहे लोग 

प्रभावित लोगों के सामने बड़ी समस्या पानी की है क्योंकि सारे जलस्रोत्त बाढ़ के पानी के अंदर डूबे हैं. गांव के स्थानीय लोगों ने बताया कि बाढ़ के कारण पानी में ही शौच करना पड़ता है और उसी नदी के पानी को पीने के लिए भी इस्तेमाल करना पड़ता है. इससे अधिक उनके लिए दुर्भाग्य की बात और क्या होगी. इधर लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को चावल, दाल आदि सामग्री भेजी जा रही है.(पूरना बिकाश की रिपोर्ट)

MORE NEWS

Read more!