झारखंड एक बार फिर गंभीर सूखे की चपेट में है. बैक टू बैक आए इस सूखे ने राज्य के किसानों की कमर तोड़ दी है. कृषि और किसानों पर इसका गंभीर असर पड़ा है. पर सूखे का खामियाजा सिर्फ किसान भर नहीं भुगत रहे हैं. राज्य के बीज दुकानदारों, कृषि मंजदूरों और कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर और पावर टिलर चलाने वालों पर भी इसकी मार पड़ रही है. क्योंकि बारिश नहीं होने के कारण कृषि कार्य पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है. आम तौर पर इस मौसम में धान के खेतों में खर-पतवार नियंत्रण का कार्य होता है और दूसरी तरफ किसान सब्जियों की खेती करते हैं ऐसे में किसानों को खेत में मजदूरों की जरूरत होती है और कृषि मजदूरों को काम मिलता है. पर इस बार काम नहीं मिल रहा है.
मांडर प्रखंड के गुड़गुड़जाड़ी गांव के कृषि मजदूर एतवा उरांव ने बताया कि अब गांव में काम नहीं मिलता है. बारिश होती है तो खेतों में काम मिलता है. पर इस बार तो बिल्कुल ही कमाई नहीं हो पाई है. गांव में मात्र दो फीसदी जमीन में ही धान की खेती हुई है, इसलिए गांव में उनके अलावा अन्य मजदूरों को भी काम नहीं मिला. एतवा बताते हैं कि गांव से काम करने के लिए शहर भी जाना आसान नहीं है क्योंकि यातायात की सुविधा नहीं है. गांव से रांची जाकर काम करके लौटना आसान नहीं होता है. उन्होंने कहा कि अब उनके पास पलायन करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है क्योंकि पैसे नहीं है और दो महीने से राशन का चावल भी नहीं मिला है.
मांडर प्रखंड के ही चुंद गांव के ट्रैक्टर मालिक सुखदेव उरांव बताते हैं कि उन्होंने इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद की थी. उन्हें उम्मीद थी कि इस बार अच्छी बारिश होगी तो अधिक जुताई करने के लिए मिलेगा, इससे अच्छी कमाई होगी और वो अपनी ट्रैक्टर की ईएमआई अच्छे से भर पाएंगे. पर इस बार बारिश नहीं होने के कारण किसानों ने धान की खेती से ही दूरी बना ली. इसके कारण जुताई का कार्य नहीं मिला और अब उनके पास ईएमआई भरने तक के पैसे नहीं है.
राज्य के बीज दुकानदारों का भी यही हाल है. बीज दुकानदारों का दर्द यह है कि इस बार किसानों ने धान बीज खरीदारी बेहद कम की है. धान बीज की बिक्री में इस बार 50 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. यही कारण है कि इस बार बीज दुकनदार भी घाटे में हैं. अब सब्जी के बीज और खाद की भी मांग कम हो रही है क्योंकि खेत में पानी नहीं है इसलिए किसान यूरिया का भी भुरकाव नहीं कर रहे हैं. ना ही सब्जियों की खेती शुरु कर रहे हैं.