World Environment Day: इस शख्स ने अपने घर में ही बना डाला बीज बैंक, अब तक 5 हजार लोगों को बांट चुके हैं फ्री बीज

World Environment Day: इस शख्स ने अपने घर में ही बना डाला बीज बैंक, अब तक 5 हजार लोगों को बांट चुके हैं फ्री बीज

World Environment Day 2023: प्रकृति प्रेमी 36 वर्षीय शिवशंकर चापूले ने तीन साल पहले घर में बीज बैंक बनाया था. फिलहाल, वो पांच हजार लोगों और गैर सरकारी संगठनों को बीज बांट चुके हैं. वहीं उन्होंने बीज बैंक पौधरोपण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए शुरू किया है. ऐसे में आइए वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे 2023 के मौके पर उनकी दिलचस्प कहानी के बारे में जानते हैं-

World Environment Day: प्रकृति प्रेमी ने पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए घर में बनाया बीज बैंक
क‍िसान तक
  • Latur,
  • Jun 04, 2023,
  • Updated Jun 04, 2023, 5:52 PM IST

महाराष्ट्र के लातूर जिले में 36 वर्षीय शिवशंकर चापूले ने पौधारोपण को बढ़ावा देने और लोगों को हरियाली की महत्ता को लेकर जागरूक करने के लिए अपने घर में एक बीज बैंक बनाया है. जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने लातूर की रीनापुर तहसील के इस प्रकृति प्रेमी की लोगों को निशुल्क बीज उपलब्ध कराने की पहल की प्रशंसा की और कहा कि कई छात्रों तथा नागरिकों ने पौधे लगाने के लिए उससे प्रेरणा ली है. वहीं चापूले का दावा है कि उन्होंने तीन साल पहले यह पहल शुरू करने के बाद से 5,000 लोगों और कुछ गैर सरकारी संगठनों को बीज दे चुके हैं. 

पांच जून को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस 2023 से पहले पीटीआई से बात करते हुए चापूले ने कहा कि उन्होंने अपने घर को एक बीज बैंक में तब्दील कर दिया है, जिसमें देशी पौधों और पेड़ों के 150 से अधिक किस्मों के बीज हैं. ऐसे में आइए वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे 2023 के मौके पर प्रकृति प्रेमी शिवशंकर चापूले की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं- 

तीन साल पहले बनाया बीज बैंक 

शिवशंकर चापूले, जो एक निजी गैस एजेंसी में काम करते हैं, ने कहा कि उन्होंने तीन साल पहले बीज बैंक को बनाया था, जिसके माध्यम से वह लोगों को मुफ्त में पौधे लगाने के लिए बीज उपलब्ध करा रहे हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं. उन्होंने कहा, "बीज बैंक का उद्देश्य वृक्षारोपण को बढ़ाना और स्वदेशी पौधों या पेड़ों के बारे में जागरूकता पैदा करना है, क्योंकि दुनिया भर में प्रदूषण और तापमान का स्तर बढ़ रहा है और औद्योगिकीकरण और जनसंख्या में वृद्धि के कारण हरित क्षेत्र तेजी से कम हो रहा है."

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12वीं कक्षा तक पढ़े चापूले बचपन से ही प्रकृति प्रेमी रहे हैं और उन्होंने पिछले छह-सात सालों से पेड़-पौधों और इंसानों के बीच के रिश्ते को देखा है. वह प्लास्टिक की बोतलों के पुन: उपयोग के बारे में भी जागरूकता पैदा कर रहे हैं, क्योंकि वे फेंकी गई बोतलों को इकट्ठा करते हैं और बीजों को स्टोर करने के लिए उनका उपयोग करते हैं.

5,000 लोगों और गैर सरकारी संगठनों को दे चुके हैं बीज

चापूले ने आगे कहा, "मैं बीज लेने के लिए हर सुबह, और रविवार और छुट्टियों के दिन भी पास के जंगल में जाता हूं. मैं वृक्षारोपण में रुचि रखने वाले लोगों को डाक सेवा द्वारा मुफ्त में बीज प्रदान करता हूं. अब तक, मैं 5,000 लोगों और गैर सरकारी संगठनों को बीज दे चुका हूं. सहयाद्री देवराय और सह्याद्री फाउंडेशन की तरह, वे पौधे बनाते हैं और उन्हें मुफ्त में वितरित करते हैं." 

जागरूकता पैदा करने के लिए शुरू किए बीज बैंक 

उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण समय की जरूरत है और इस तरह के अभियान को बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन लोग यह नहीं समझते कि किस तरह के पेड़ लगाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मैंने स्वदेशी पौधों के बारे में जागरूकता पैदा करने और उनके बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज बैंक शुरू करने का फैसला किया है. लोगों को हमारे भविष्य की रक्षा के लिए इस काम को करने के लिए आगे आना चाहिए."

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लातूर जिला परिषद कृषि विभाग के अभियान अधिकारी गोपाल शेरखाने ने चापूले की पहल की सराहना की है. उन्होंने कहा, "कई छात्रों और नागरिकों ने चापूले से प्रेरणा ली है और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया है. कई स्वदेशी पेड़-पौधे नष्ट हो चुके हैं. चापूले अपने बीज बैंक के माध्यम से इन दुर्लभ पेड़-पौधों के बारे में जागरूकता पैदा करते हैं." अधिकारी ने आगे कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए और वृक्षारोपण के महत्व को ध्यान में रखते हुए, लोगों को एक साथ आगे आने की जरूरत है. (साभार: पीटीआई)

 

 

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