छत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. राज्य की महिलाएं अब अलग-अलग लाभार्थी योजनाओं से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और प्रशिक्षणों के माध्यम से महिलाएं स्वरोजगार की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रही हैं. महासमुंद जिले के ग्राम गुलझर की महिलाएं इस बात का उदाहरण हैं कि यदि सही मार्गदर्शन, इच्छाशक्ति और सहयोग हो, तो आत्मनिर्भरता का रास्ता बहुत दूर नहीं होता. वर्ष 2019 में गठित जय बड़ादेव महिला स्व-सहायता समूह ने स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर एक नया आजीविका मॉडल तैयार किया.
समूह की अध्यक्ष गोमती ध्रुव बताती हैं कि उन्होंने बकरी पालन को एक छोटे निवेश वाले लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाया. ग्रामीण परिवेश में यह व्यवसाय कम लागत में अधिक लाभ देने वाला व्यापार साबित हुआ. यह न केवल पशुपालन है, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का प्रभावशाली माध्यम बन गया है.
गोमती ध्रुव और उनके समूह को बिहान योजना के अंतर्गत 1 लाख रुपये का ऋण मिला जिससे उन्होंने व्यवसाय की शुरुआत की. समय पर किस्त चुकाकर वे लोन मुक्त भी हो गईं हैं और आगे 2 लाख और 4 लाख रुपये के लोन से व्यवसाय का विस्तार किया. समूह को 15,000 रुपये का रिवॉल्विंग फंड और 60,000 रुपये का सामुदायिक निवेश फ़ंड भी मिला.
समूह की 8 महिलाओं के पास आज 4 से 5 बकरियां हैं. वे बकरी पालन के साथ-साथ जैविक बकरी खाद भी तैयार कर रही हैं. इस खाद की गुणवत्ता और जैविक प्रकृति के कारण इसकी मांग स्थानीय बाजार के साथ-साथ पुणे जैसे बड़े शहरों में भी है. इससे महिलाओं को हर माह 4,000 से 5,000 रुपये की अतिरिक्त आय हो रही है.
जिला पंचायत परिसर में आयोजित आकांक्षा हाट में समूह द्वारा लगाए गए स्टॉल में बकरी खाद को लोगों ने खूब सराहा. इस सराहना ने महिलाओं के आत्मविश्वास को और बढ़ाया है और उन्हें अपने व्यवसाय को और आगे ले जाने की प्रेरणा मिली है.
श्रीमती गोमती ध्रुव और उनकी साथी महिलाओं ने यह साबित कर दिखाया कि यदि ग्रामीण महिलाएं एकजुट होकर प्रयास करें और शासन की योजनाओं का सही लाभ उठाएं, तो वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं. आज ये महिलाएं न केवल अपने परिवार का सहारा हैं, बल्कि अन्य ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बन चुकी हैं.
समूह की महिलाएं बिहान योजना और अन्य सरकारी योजनाओं के लिए शासन का धन्यवाद करती हैं. इन योजनाओं ने उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सक्षम बनाया, बल्कि उनके सपनों को उड़ान भी दी. गुलझर गांव की महिलाओं की यह सफलता कहानी पूरे राज्य के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण है. यह दिखाता है कि सरकार की योजनाएं जब जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू होती हैं, तो उनमें जीवन बदलने की शक्ति होती है.