Exclusive: पंजाब सरकार को झटका, बासमती चावल के लिए 11 कीटनाशकों के बैन पर हाई कोर्ट का स्‍टे 

Exclusive: पंजाब सरकार को झटका, बासमती चावल के लिए 11 कीटनाशकों के बैन पर हाई कोर्ट का स्‍टे 

राज्‍य सरकार ने इन कीटनाशकों के बैन को लेकर जो तर्क दिया था उसके अनुसार इनकी बिक्री, वितरण और उपयोग बासमती चावल उत्पादकों के हित में नहीं है. सरकार का कहना था कि इनके इस्तेमाल से बासमती चावल में रसायन की मात्रा कई देशों द्वारा तय इसके अधिकतम अवशेष स्तर ( MRL-Maximum Residue limit) से ज्यादा मिल रही है, ज‍िससे एक्सपोर्ट पर बुरा असर पड़ता है.

Basmati Rice Export Farm Seed Centre and lab Tarn TaranBasmati Rice Export Farm Seed Centre and lab Tarn Taran
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Aug 08, 2025,
  • Updated Aug 08, 2025, 2:31 PM IST

बासमती धान की खेती में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों को लेकर पंजाब सरकार को एक बड़ा झटका लगा है. पंजाब सरकार ने इस साल जून में बासमती चावल (Basmati Rice) के ल‍िए खतरनाक माने जाने वाले कीटनाशकों पर बैन (Pesticide Ban) लगाने का ऐलान किया था. लेकिन अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को झटका देते हुए उसके आदेश पर स्‍टे लगा दिया है. सरकार के बैन के खिलाफ पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपनियों के संगठन क्रॉप लाइफ इंडिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और अब कोर्ट ने उस पर ही स्टे का आदेश दिया है. राज्‍य के कृषि विभाग की तरफ से लगाया गया बैन 1 अगस्‍त से लागू होकर अगले 60 दिन यानी दो महीने तक के लिए लागू था. यही वह समय होता है जब बासमती धान पर फ्लावर‍िंग आती है और क‍िसान उस पर लगने वाले रोगों के न‍ियंत्रण के ल‍िए कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं. 

इस स्‍टे पर पंजाब बासमती एक्‍सपोर्टर्स एसोस‍िएशन ने राज्‍य सरकार से नाराजगी जाहिर की है कि उसने अपना पक्ष कोर्ट में मजबूत तरीके से नहीं रखा वरना कोर्ट स्‍टे नहीं देता. बासमती एक्‍सपोर्टर एसोसिएशन अब इस स्‍टे के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है. पंजाब सरकार की तरफ से एक आदेश जारी कर 11 तरह के कीटनाशकों का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया था.

इन कीटनाशकों पर लगा था बैन 

जिन कीटनाशकों को बैन किया गया था उनमें एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, प्रोपिकोनाज़ोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेन्डाजिम, ट्राइसाइक्लाजोल, टेबूकोनाजोल और कार्बोफ्यूरॉन शाम‍िल हैं. सरकर ने उस समय एक नोट‍िफ‍िकेशन जारी कर इस बैन को अगस्‍त से लागू करने की बात कही थी.

क्‍या था सरकार का तर्क 

राज्‍य सरकार ने इन कीटनाशकों के बैन को लेकर जो तर्क दिया था उसके अनुसार इनकी बिक्री, वितरण और उपयोग बासमती चावल उत्पादकों के हित में नहीं है. सरकार का कहना था कि इनके इस्तेमाल से बासमती चावल में रसायन की मात्रा कई देशों द्वारा तय इसके अधिकतम अवशेष स्तर ( MRL-Maximum Residue limit) से ज्यादा मिल रही है, ज‍िससे एक्सपोर्ट पर बुरा असर पड़ता है. क्योंक‍ि अमेर‍िका और यूरोप‍ियन यून‍ियन के देश तय मात्रा से अध‍िक कीटनाशकों के अवशेष वाले चावल को नहीं खरीदते हैं. उसका कहना था कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना ने पंजाब राज्य में बासमती चावल के कीटों को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक कृषि रसायनों की सिफारिश की है.

ए‍सोसिएशन ने की थी मांग 

वहीं सरकार ने पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का हवाला देते हुए कहा था कि उनके परीक्षण में भी कई नमूनों में इन कीटनाशकों का अवशेष मान बासमती चावल के एमआरएल मान से काफी ज्‍यादा है. सरकार की मानें तो एसोसिएशन ने पंजाब की विरासत बासमती उपज को बचाने और अन्य देशों को बासमती चावल के परेशानी मुक्त निर्यात को सुनिश्चित करने के लिए इन कृषि रसायनों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था. उसका कहना था कि ये कीटनाशक बासमती चावल के निर्यात में संभावित बाधा हैं.

क्रॉपलाइफ इंडिया ने क्या कहा 

इस मामले पर क्रॉपलाइफ इंडिया ने प्रतिक्रिया दी है. ज‍िसमें कहा गया है कि पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करता है. 'हमारा मानना है कि बासमती चावल के निर्यात के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान दीर्घकालिक, टिकाऊ और विज्ञान-आधारित समाधानों के माध्यम से किया जा सकता है. बहरहाल, अब इस फैसले को लेकर पंजाब में कीटनाशक बनाने वाली कंपन‍ियां और बासमती चावल के एक्सपोर्टर आमने-सामने आ गए हैं.   

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