किसान Of The Week: कभी दो-चार रुपयों के लिए मोहताज थीं दीपाली महतो, आज सजावटी मछलियों ने बनाया लखपति

किसान Of The Week: कभी दो-चार रुपयों के लिए मोहताज थीं दीपाली महतो, आज सजावटी मछलियों ने बनाया लखपति

दीपाली के पास 450 वर्ग फुट का सजावटी मछली फार्म है, जिसमें 80 टैंक और 50 एक्वेरियम लगे हैं. इससे उन्हें 60-70 हजार रुपये प्रति वर्ष के कुल निवेश के साथ 1.5 लाख प्रति वर्ष की आय हो रही है, जिससे आर्थिक तौर पर उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ी है. दीपाली महतो आज सजावटी मछलीपालन कर पूरे परिवार का खर्च चला रही हैं. अब वे कुछ-कुछ रुपयों के लिए मोहताज नहीं हैं.

सफल किसान दीपाली महतोसफल किसान दीपाली महतो
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jun 10, 2024,
  • Updated Jun 10, 2024, 1:03 PM IST

सफल किसान की ये कहानी झारखंड से आई है. इस कहानी के केंद्र में दीपाली महतो हैं जो कभी दो-चार रुपये के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर थीं. लेकिन मछलीपालन ने उनके दिन फेर दिए और आज वे पूरे परिवार का भरण-पोषण करती हैं. दीपाली ने यह काम सजावटी मछलियों के पालन में किया है जिसे अंग्रेजी में ऑरनामेंटल फिश फार्मिंग कहते हैं. ये मछलियां शौकीन लोग घरों या दफ्तरों में रखते हैं जिसे शुभ माना जाता है. 

दीपाली महतो जमशेदपुर के गोलमुरी की आदिवासी महिला हैं. उन्हें पता चला कि वे खुद की और परिवार की आजीविका चलाने के लिए मछलीपालन में किस्मत आजमा सकती हैं. इसके लिए उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ फिशरीज सेंटर, झारखंड का रुख किया. उनका मकसद था मछलीपालन में ट्रेनिंग लेना. इसी खयाल के साथ वे फिशरीज सेंटर में गईं और ट्रेनिंग शुरू की. सेंटर में उन्हें सजावटी मछलियों के पालन के बारे में अच्छी जानकारी मिली. 2018 में इसकी पूरी जानकारी हासिल कर दीपाली ने अपना काम शुरू किया. दीपाली बताती हैं कि कोरोना के पहले और कोरोना के बाद उन्हें अपने बिजनेस के लिए इनपुट जुटाने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी. हालांकि इससे भी उन्होंने पार पा लिया.

ट्रेनिंग आई काम

2022 में ICAR-केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने झारखंड के मत्स्य विभाग की मांग पर आदिवासी उप-योजना के तहत उन्हें और 29 अन्य लाभार्थियों को मछलीपालन में सहायता दी. इस संस्थान ने चुने गए लाभार्थियों को एक एफआरपी सजावटी टैंक, सजावटी मछली बीज, मछली चारा, एक एरेटर, दवा और अन्य जरूरी सामान और मशीन दिए. आईसीएआर-सीआईएफआरआई ने दीपाली जैसी अन्य लाभार्थियों के लिए एक ऑनसाइट डेमो और ट्रेनिंग सेशन लगाया. इसके बाद 22-24 दिसंबर 2022 तक आदिवासी/अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के लिए 5 दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया.

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दीपाली महतो ने ट्रेनिंग सेशन में भाग लिया, जिसने उनके सजावटी मछली पालन के प्रति जानकारी, स्किल और नजरिये को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया. फिर उन्होंने हावड़ा, पश्चिम बंगाल में सजावटी मछली गांवों का दौरा किया, जहां उन्होंने एक्वेरियम निर्माण, हैंडलिंग और गप्पी, मोली, प्लेटी और स्वोर्डटेल जैसी जीवित और अंडा देने वाली मछलियों के प्रजनन के बारे में जानकारी हासिल की. दीपाली महतो ने प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरीकों सहित एक्वेरियम में मछली के चारे की जरूरतों, खिलाने के समय, आम बीमारियों, इलाज और रख-रखाव के बारे में सीखा. ICAR-CIFRI के प्रशिक्षण कार्यक्रम से प्रेरित होकर, उन्होंने झारखंड के राज्य मत्स्य विभाग और DOF के साथ संपर्क बनाए और PMMSY योजना के तहत घर के पिछले हिस्से में सजावटी मछली फार्म बनाने के लिए 3 लाख रुपये की सब्सिडी ली.

डेढ़ लाख की कमाई

अभी दीपाली के पास 450 वर्ग फुट का सजावटी मछली फार्म है, जिसमें 80 टैंक और 50 एक्वेरियम लगे हैं. इससे उन्हें 60-70 हजार रुपये प्रति वर्ष के कुल निवेश के साथ 1.5 लाख प्रति वर्ष की आय हो रही है, जिससे आर्थिक तौर पर उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ी है. दीपाली महतो आज सजावटी मछलीपालन कर पूरे परिवार का खर्च चला रही हैं. अब वे कुछ-कुछ रुपयों के लिए मोहताज नहीं हैं. 

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