
हरियाणा में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में इस खरीद सीजन में लगभग 5 लाख मीट्रिक टन (mt) अतिरिक्त धान की आवक दर्ज की गई. जबकि बाढ़, भारी बारिश और फसल रोगों के कारण पैदावार में कमी की व्यापक रिपोर्टें आ रही थीं. अधिकारियों को अब संदेह है कि इस अतिरिक्त धान की आवक का एक हिस्सा पड़ोसी राज्यों से आया होगा, जिससे खरीद में संभावित हेराफेरी और फर्ज़ी प्रविष्टियों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. वहीं ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल के आंकड़ों से पता चलता है कि 6,395 गांवों के लगभग पांच लाख किसानों ने धान सहित लगभग 31 लाख एकड़ में फसल के नुकसान की सूचना दी है, जो कि उपज के नुकसान और सरप्लस बाजार आवक के बीच असंगतता को रेखांकित करता है.
ताजा आंकड़ों के अनुसार, राज्य में अब तक लगभग 59 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हुई है, जबकि पिछले साल लगभग 54 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हुई थी. इससे आवक में तीव्र वृद्धि का संकेत मिलता है, हालांकि उत्पादन में कथित तौर पर गिरावट आई है. अंग्रेजी अखबार 'द ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ खरीद अधिकारी का कहना है कि यह रुझान जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता. अधिकारी ने कहा कि कटाई में देरी और कई इलाकों से कम पैदावार की खबरों के बावजूद, राज्य के खरीद केंद्रों पर पिछले सीज़न की तुलना में काफी ज़्यादा आवक दर्ज की गई है.
ज़िलेवार आंकड़े बताते हैं कि अतिरिक्त 2.61 लाख मीट्रिक टन के साथ फतेहाबाद सबसे ऊपर है, उसके बाद करनाल (1.71 लाख मीट्रिक टन), सिरसा (64,606 मीट्रिक टन) और कैथल (53,552 मीट्रिक टन) का स्थान है. यमुनानगर (29,304 मीट्रिक टन), पलवल (19,187 मीट्रिक टन), पानीपत (13,655 मीट्रिक टन) और सोनीपत (10,005 मीट्रिक टन) सहित अन्य ज़िलों में भी अधिक आवक दर्ज की गई है. रोहतक (9,170 मीट्रिक टन), हिसार (4,728 मीट्रिक टन), फरीदाबाद (2,454 मीट्रिक टन) और झज्जर (1,981 मीट्रिक टन) में थोड़ी अधिक आवक दर्ज की गई है.
हालांकि, कुछ जिलों में यह रुझान उलटा है. पंचकूला, जींद, अंबाला और कुरुक्षेत्र, सभी में पिछले सीजन की तुलना में कम आवक दर्ज की गई है. कुरुक्षेत्र में 68,000 मीट्रिक टन से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जबकि अंबाला में 62,000 मीट्रिक टन से ज़्यादा की कमी देखी गई.
खरीद के आंकड़ों के अनुसार, फतेहाबाद में इस सीजन में अब तक 10.04 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल यह 7.43 लाख मीट्रिक टन थी. करनाल में 8.40 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 10.16 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवक दर्ज की गई है. सिरसा में यह 3.65 लाख मीट्रिक टन और कैथल में लगभग 8.92 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई है, जो दोनों ही फसलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाते हैं. अधिकारियों को संदेह है कि अन्य राज्यों - विशेषकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश - से लाए गए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) चावल या धान को स्थानीय उपज के रूप में दिखाया गया है.
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुछ मिल मालिक हरियाणा के बाहर से सस्ती दरों पर पीडीएस चावल या धान लाते हैं और उसे सरकारी दरों पर एफसीआई को दिए जाने वाले कस्टम-मिल्ड चावल (सीएमआर) में समायोजित कर देते हैं. इसके लिए, रिकॉर्ड में हेराफेरी की जाती है और फर्जी गेट पास के ज़रिए फर्जी प्रविष्टियां की जाती हैं.
राज्य में करनाल में कथित "फर्जी" खरीद के लिए पहले ही तीन एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जहां कागज़ों पर धान की डिलीवरी दिखाई गई थी, लेकिन उसे कभी भौतिक रूप से प्राप्त नहीं किया गया. जांचकर्ताओं ने कथित तौर पर पाया कि अनाज मंडी परिसर के बाहर आईपी एड्रेस का इस्तेमाल करके फर्जी गेट पास बनाए गए थे. अनियमितताओं से चिंतित, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 25 अक्टूबर को स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने अधिकारियों को चार जिलों में भौतिक सत्यापन करने का निर्देश दिया, जिसमें धान और बाजरा खरीद और डिजिटल गेट पास की प्रामाणिकता पर ध्यान केंद्रित किया गया.
हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एचएसएएमबी) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम अनाज मंडियों में वाहनों की प्रविष्टियों की जांच कर रहे हैं और गेट पास जारी करने के लिए इस्तेमाल किए गए आईपी एड्रेस की जांच कर रहे हैं.
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