मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के खैजुमन मयाई लाईकै गांव के 47 साल के प्रगतिशील किसान चोंगथाम खोगेंद्रो सिंह ने साबित कर दिया है कि वैज्ञानिक तरीके से की गई खेती किसानों की आय को कई गुना बढ़ा सकती है. एक ग्रेजुएट खोगेंद्रो सिंह अपने एक हेक्टेयर खेत में कई सब्जियों की खेती करते हैं. हाल ही में उन्हें बेंगलुरु स्थित आईसीएआर-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित नेशनल हॉर्टिकल्चर फेयर 2025 में बेस्ट फार्मर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है.
बिष्णुपुर जिला लंबे समय से सब्जी उत्पादन का केंद्र रहा है. यहां ज्यादातर किसान यार्ड लॉन्ग बीन्स यानी लंबी फलियों वाली सब्जी की खेती थाईलैंड, चीन और म्यांमार से इंपोर्ट किए गए बीजों से करते रहे हैं. ये बीज न सिर्फ कम अल्पकालिक शेल्फ लाइफ वाले होते हैं बल्कि नॉन-सर्टिफाइड होने के कारण इनका उत्पादन भी अनिश्चित रहता है. इससे किसानों को कम मुनाफा और ज्यादा जोखिम उठाना पड़ता है. इन चुनौतियों को देखते हुए आईसीएआर-कृषि विज्ञान केंद्र, बिष्णुपुर ने 2024 की कार्ययोजना के अंतर्गत ऑन-फार्म टेस्टिंग (OFT) शुरू की. इसमें आईसीएआर-आईआईएचआर की तरफ से विकसित अर्का मंगल (F1) किस्म के प्रदर्शन को परखा गया. इस ट्रायल के लिए चार किसानों को चुना गया जिनमें खोगेंद्रो सिंह भी शामिल थे.
बीज दर (25 किग्रा/हेक्टेयर), गोबर खाद (5 टन/हेक्टेयर), उर्वरक (30:60:50 NPK/हेक्टेयर) और पौधों के बीच दूरी (45×15 सेमी) जैसे वैज्ञानिक पैकेज ऑफ प्रैक्टिस किसानों को सिखाए गए. हर किसान को 1 किलो अर्का मंगल बीज उपलब्ध कराए गए. खोगेंद्रो सिंह ने 28 जुलाई 2024 को 625 वर्गमीटर क्षेत्र में बीज बोए. 42 दिन बाद पहली बार फूल खिले और 58 दिन बाद तुड़ाई शुरू हो गई. उन्होंने हर 3–4 दिन में कुल 18 बार तुड़ाई की. इसमें 31 अक्टूबर को सबसे ज्यादा 122 किलो फलियां हासिल हुईं. चार महीनों में कुल 1580 किलो उत्पादन मिला. अर्का मंगल की फलियों की शेल्फ लाइफ 5 दिन है, जबकि पारंपरिक किस्म सिर्फ 2 दिन तक ही टिक पाती थी. सिर्फ 9,800 रुपये की लागत में उन्होंने 69,520 रुपये की आय कमाई और 59,720 रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया.
खोगेंद्रो सिंह के खेत में मिली सफलता को देखते हुए 27 सितंबर 2024 को फील्ड डे आयोजित किया गया. इसमें 30 किसानों जिसमें 22 पुरुष और 8 महिलाएं थीं और जिला उद्यान एवं मृदा संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया. प्रदर्शन से आसपास के किसानों में भी अर्का मंगल किस्म के लिए गहरी दिलचस्पी पैदा हुई. साथ ही यह साफ हो गया कि यह किस्म किसानों की आय बढ़ाने में गेमचेंजर साबित हो सकती है. अर्का मंगल किस्म ने लंबी शेल्फ लाइफ, उच्च उत्पादन, बेहतर बाजार की मंजूरी और कीटों के लिए कम संवेदनशील जैसी खूबियों के कारण फ्रंटलाइन डेमॉन्स्ट्रेशन (FLD) कार्यक्रमों के लिए उपयुक्तता साबित की है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस किस्म के व्यापक स्तर पर अपनाए जाने से मणिपुर के सब्जी उत्पादक किसानों की आय और जीवन स्तर दोनों में सुधार होगा.
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