अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में दलहन फसलों, जैसे तूर (अरहर) और चना (छोले) की अच्छी पैदावार से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है. ऐसे में भारतीय दलहन व्यापारियों ने एक बार फिर मांग की है कि घरेलू बाजार को कुछ सहारा देने के लिए पीली मटर के आयात पर 50 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगाई जाए. मोजाम्बिक, तंजानिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बड़ी फसल होने के कारण हाल के हफ्तों में भारतीय बंदरगाहों तक दालों की लैंडेड कॉस्ट में कमी आई है.
अखबार हिंदू बिजनेसलाइन ने इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बिमल कोठारी के हवाले से लिखा, 'पिछले साल की तुलना में इस साल फसलें काफी ज्यादा हैं. ऑस्ट्रेलिया में चने की फसल अच्छी है, जबकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस और कजाकिस्तान में मसूर की पैदावार अच्छी है. वहीं मोजाम्बिक, तंजानिया और पूरे अफ्रीका में तूर की पैदावार बहुत अच्छी है. यहां 10 लाख टन से ज्यादा तूर की पैदावार होने वाली है. उन्होंने कहा कि इंपोर्टेड अरहर की कीमत पहले ही घटकर 47-48 रुपये प्रति किलो हो गई है. वहीं अनुमान है कि यह घटकर 40 से 45 रुपये किलो के स्तर पर आ जाएगी जबकि अभी एमएसपी 80 रुपये है. कोठारी के मुताबिक इसीलिए सरकार से पीली मटर पर ड्यूटी लगाने की मांग की गई है क्योंकि एमएसपी से कम क़ीमतें किसानों को नुकसान पहुंचाएंगी.
ईटी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखकर पीली मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट को बैन करने की सलाह दी है. अधिकारियों की मानें तो म्यांमार, मोजाम्बिक, तंजानिया और कनाडा जैसे देशों से पीली मटर के ड्यूटी फ्री आयात से तुअर, उड़द, मसूर और चना जैसी प्रमुख दालों की मंडी या थोक कीमतें कम हो रही हैं क्योंकि इन दालों की पहुंच लागत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और कई अन्य दालों के मंडी मूल्यों से कम है. इस वजह से आयातित पीली मटर स्नैक निर्माताओं, होटलों और रेस्टोरेंट और कई कम आय वाले परिवारों के लिए पसंदीदा विकल्प बन रही है. इससे स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाली दालों की मांग और कीमतों पर असर पड़ रहा है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से दालों समेत सभी जरूरी चीजों की कीमतों की निगरानी और नियंत्रण किया जाता है. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से उपभोक्ता मंत्री प्रह्ललाद जोशी को पहले चिट्ठी लिखी गई थी. इसमें स्थानीय किसानों के हितों की रक्षा के लिए पीली मटर के आयात पर कम से कम 50 फीसदी ड्यूटी लगाने का अनुरोध किया जा चुका है. कृषि मंत्री चौहान ने अपने पत्र में लिखा है कि पीली मटर के लगातार आयात से दालों की घरेलू कीमतों में गिरावट आई है और इससे किसान दालों की खेती का रकबा बढ़ाने से हतोत्साहित होंगे.
सरकार ने दिसंबर 2023 में पीली मटर पर इंपोर्ट-ड्यूटी को हटा दिया था ताकि दालों की खुदरा मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिल सके. प्रतिकूल मौसम के कारण लगातार दो सालों से चना, अरहर और उड़द जैसी प्रमुख किस्मों की कम पैदावार के कारण दालों की खुदरा कीमतें जून 2023 से कम से कम डबल डिजिट में रही हैं. सरकारी प्रयासों के बावजूद अगस्त 2024 में दालों की कीमतें 113 फीसदी तक बढ़ गई. इसके बाद, सरकार ने पीली मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट को कई बार बढ़ाया. इस साल मई में सरकार ने इसकी तारीखी बढ़ाकर 31 मार्च, 2026 तक कर दी.
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