भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना देशभर में मछुआरों को आर्थिक मदद देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. इसी योजना के तहत छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के तुरेनार गांव में एक अत्याधुनिक मत्स्य आहार (फिश फीड) इकाई की स्थापना की गई है. यह इकाई न केवल मछली पालकों को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण आहार उपलब्ध करा रही है, बल्कि पशुपालकों और कुक्कुट पालकों के लिए भी लाभदायक साबित हो रही है.
तुरेनार गांव की यह फीड मिल बस्तर निवासी शिवदुलारी द्वारा स्थापित की गई है. यह मिल आज एक सफल मॉडल बन चुकी है कि कैसे सरकारी योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, आयवृद्धि और आर्थिक सशक्तिकरण का जरिया बन सकती हैं.
यह फीड मिल प्रति माह 50 टन फ्लोटिंग फिश फीड का उत्पादन कर रही है. इसके अलावा, यहां से पशु आहार और कुक्कुट आहार भी तैयार किया जा रहा है. बाजार में प्रतिस्पर्धा होने के बावजूद, मिल में आहार की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है.
यह फीड जिले के अलावा बाहर के मत्स्य और पशुपालकों को भी बेची जा रही है, जिससे इस इकाई की सफलता और पहुंच का पता चलता है.
इस फीड मिल ने गांव में स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी दिए हैं. इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है और पलायन में भी कमी आ रही है. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना, जो वर्ष 2020-21 में शुरू हुई थी, का उद्देश्य है मछली पालन को आधुनिक तकनीक से जोड़ना और किसानों की आय को दोगुना करना.
इस वित्तीय सहायता से मछलीपालक अब तालाब निर्माण, बायो-फ्लॉक तकनीक, फिश फीड मिल, आइस बॉक्स से लैस बाइक, और सजावटी मछलियों के पालन जैसे नवाचार अपना पा रहे हैं.
अब तक इस योजना के तहत बस्तर जिले में 986 किसानों को लाभ मिला है. इससे मछली उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है और किसानों की आय में भी इजाफा हुआ है. इसके साथ ही, बचत सह-राहत योजना के माध्यम से मछुआरों को आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान की जा रही है.
तुरेनार गांव की फीड मिल और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना मिलकर यह साबित कर रहे हैं कि यदि सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन हो, तो ग्रामीण क्षेत्रों में खुशहाली और आत्मनिर्भरता संभव है. यह मॉडल पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकता है कि कैसे मछलीपालन और पशुपालन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है.