
जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के एक युवा ने मछली बाजार में क्रांति ला दी है. दरअसल, तंगधार गांव के एक युवा बिजनेसमैन तनवीर अहमद ने अपनी अभिनव मछली पालन परियोजना से दिखा रहे हैं. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, तनवीर ने तंगधार में रेनबो ट्राउट मछली फार्म की स्थापना की, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में ताजी मछली की बढ़ती मांग को पूरा करना है. तंगधार के लोग मछली के लिए कुपवाड़ा या श्रीनगर के दूरदराज के बाजारों पर निर्भर थे और यह यात्रा अक्सर खतरनाक पहाड़ी सड़कों पर घंटों का समय लेती थी.
नतीजा यह हुआ कि मछलियों की उपलब्धता सीमित हो गई और कीमतें ऊंची हो गईं. इस कमी को समझते हुए, तनवीर ने एक स्थानीय मछली फार्म स्थापित करने का साहसिक कदम उठाया, जिसका उद्देश्य न केवल निवासियों को ताज़ी और सस्ती मछलियां उपलब्ध कराना है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करना है.
तनवीर ने बताया कि उन्होंने 2022 में मछली पालन शुरू किया था. वो पहले एक जनरल स्टोर चलाते थे. शुरुआत में यह आसान नहीं था, लेकिन 2023 से खेती ने गति पकड़ ली. फिर मत्स्य विभाग ने उस समय उन्हें मार्गदर्शन और सब्सिडी देकर मदद की. मत्स्य विभाग के सहयोग और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से शुरुआती चुनौतियों, जैसे ठंडी जलवायु और सीमित संसाधनों का सामना किया. उन्होंने बताया कि फार्म में रेनबो ट्राउट और कॉमन कार्प जैसी मछलियां हैं, जो अपने स्वाद और पोषण मूल्य के कारण बेहद लोकप्रिय हैं.
उन्होंने कहा कि इससे समुदाय को लाभ हुआ है. वे 4-6 महीने पुरानी मछली खाते थे. अब उन्हें ताजी मछली मिलती है. हम होम डिलीवरी भी करते हैं. हमारी मछलियां श्रीनगर, कुपवाड़ा और बारामूला में पहुंचाई जाती हैं. मछली पालन एक टिकाऊ, लाभदायक और सामाजिक आवश्यकता है. तंगधार में मछली पालन शुरू करना आसान नहीं था. ठंडी जलवायु और सीमित संसाधनों ने इसमें बड़ी बाधाएं खड़ी की. मत्स्य विभाग के सहयोग और कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से, तनवीर ने इष्टतम जल तापमान और ऑक्सीजन स्तर बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किए गए आधुनिक मछली तालाबों का सफलतापूर्वक निर्माण किया.
फार्म में "रेनबो ट्राउट" और "कॉमन कार्प" जैसी नस्लें हैं, जो अपने स्वाद और पोषण मूल्य के लिए बेहद लोकप्रिय हैं. इस पहल के परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं. अब निवासियों को अपने ही फार्म में ताज़ी मछलियां मिल रही हैं, जिससे बाहरी बाजारों पर उनकी निर्भरता कम हो गई है. उनके इस प्रयास ने अन्य युवाओं को मछली पालन को एक व्यवहार्य आजीविका विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया है.
तनवीर अपने फार्म का विस्तार करने, मछलियों की नई प्रजातियां लाने और जलीय कृषि से जुड़े इको-टूरिज्म के अवसरों का पता लगाने की योजना बना रहे हैं. उनका सपना तंगधार को न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए, बल्कि टिकाऊ मछली पालन के लिए भी जाना जाना है. इस पहल से न केवल ताज़ी मछलियों तक पहुंच बढ़ी है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं. तनवीर की सफलता की कहानी ने दूसरों को मछली पालन को एक आजीविका विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया है. (एएनआई)