बिहार की राजधानी पटना में डेयरी फार्म के माध्यम से कमाई करने वाले पशुपालकों की संख्या बढ़ रही है. इस व्यवसाय में अब पढ़े-लिखे युवाओं की सहभागिता कुछ सालों में अधिक बढ़ी है. ऐसी ही एक डेयरी का संचालन रमेश यादव कर रहे हैं. रमेश यादव बताते हैं कि वे सालाना 25 लाख रुपये की नौकरी करते थे, लेकिन तीन साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़ कर गौपालन शुरू किया. मसलन, उनके डेयरी फार्म में आज गिर और साहीवाल नस्ल की गाय हैं. इन गायों का दूध मौजूदा समय में वह 140 रुपये प्रति लीटर तक बेच रहे हैं. वे बताते हैं कि आने वाला समय ऐसा है कि आपको खुद का बिजनेस करना ही पड़ेगा. किसी के यहां नौकरी करने से बढ़िया है कि खुद का व्यवसाय किया जाए और अपनी सफलता की समृद्ध पटकथा लिखी जाए.
ये भी पढ़ें- Farmer Suicide: कर्ज-बेमौसम बारिश की मार बनी किसान पृथ्वीराज के जान देने की वजह!
रमेश यादव बताते हैं कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन ऑफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. अपने बारे में वे बताते हैं कि वे पिछले एक दशक से गुड़गांव में नौकरी कर रहे थे.अपनी नौकरी के दौरान देश-विदेश में घूमने का मौका भी मिला, लेकिन कुछ अलग करने की चाह में उन्होंने नौकरी छोड़कर पशुपालन के क्षेत्र में कदम रखा. नतीजतन आज वे पशुपालन के दम पर एक मोटी कमाई कर रहे हैं. रमेश कहते हैं कि नौकरी छोड़ने के बाद कई लोगों ने कई तरह के सवाल किए, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज करते हुए वे दूध के व्यवसाय से जुड़ गया.
रमेश के पास करीब 30 के आसपास शुद्ध देसी नस्ल की साहिवाल व गिर गाय हैं, जिनमें से 11 साहिवाल गाय दूध दे रही हैं. वे कहते हैं कि देसी नस्ल की साहिवाल गाय का दूध अन्य गाय के दूध से अधिक पौष्टिक है. वह लोगों के यहां शीशी में दूध पैक करके बेचते हैं. दूध का भाव दूरी के हिसाब से तय होता है. अगर नजदीक में देना है तो 110 रुपए प्रति लीटर. वहीं अधिक दूरी होने पर 140 रुपये प्रति लीटर दूध व बेचते हैं. आगे कहते हैं कि मांग के अनुसार लोगों को दूध नहीं दे पा रहा हूं. प्रतिदिन 80 लीटर के आसपास दूध इकट्ठा होता है और महीने का खर्च डेढ़ लाख रुपए के आसपास होता है. सभी खर्च काटकर डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई हो जाती हैं. यह बताते हैं कि वह पशुओं को घर का बनाया हुआ दलिया, चारा देते हैं. दुकानों से खरीदा कोई आहार नहीं देते हैं.
ये भी पढ़ें- नौकरी छोड़ कर शुरू किया था मछली पालन, अब सालाना 25 लाख रुपये की कमाई
आज से तीन साल पहले सालाना 25 लाख की नौकरी छोड़कर पशुपालन करने वाले रमेश कहते हैं कि उनके यहां करीब 5 लोग स्थाई रूप से नौकरी करते हैं. जहां एक लोग की न्यूनतम सैलरी 8000 रुपए के आसपास है. आज शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के पास खुद की जमीन हो या लीज पर लेकर पशुपालन करके के बेहतर कमाई कर सकते हैं.