Benefits of Goat Farming देश में बकरी पालन कोई नया नहीं है. पहले घरों में दूध की जरूरत पूरी करने के लिए बकरी पाली जाती थीं. लेकिन जब मीट का चलन शुरू हुआ तो बकरे-बकरियां मीट के लिए पाले जाने लगे. अब मीट संग दूध की भी डिमांड होने लगी है. बाजारों से ज्यादा बकरी का दूध आनलाइन बिक रहा है. मीट के बाजार की बात करें तो घरेलू के साथ एक्सपोर्ट बाजार में भी डिमांड बढ़ रही है. यही वजह है कि बकरी पालन करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. ये बात सरकारी आंकड़ों से भी साबित हो जाती है.
आंकड़े बताते हैं कि पशुपालन लोन के लिए आने वाले आवेदन में 80 फीसद बकरी पालन के लिए होते हैं. एनिमल एक्सपर्ट इसके पीछे की वजह का जिक्र करते हुए बताते हैं कि बकरी पालन आज सबसे सस्ता और आसान है. ये कम से कम जगह और लागत में शुरू हो जाता है. दूसरा ये कि इससे मुनाफा भी खूब होता है. ऐसे कोई एक-दो फायदे नहीं पूरे 25 फायदे हैं जिसके चलते बकरी पालन करने वालों की संख्या बढ़ रही है.
जानें क्यों सस्ता और आसान है बकरी पालन करना
- बकरियों के लिए चारे का इंतजाम करने में परेशानी नहीं होती.
- बकरियां गाय-भैंस के मुकाबले 20 फीसद ही चारा खाती हैं.
- बकरी और इंसानों की खुराक में कोई समानता नहीं है इसलिए लागत कम आती है.
- जैसे पोल्ट्री फीड में शामिल मक्का-सोयाबीन इंसान भी खाते हैं, इसलिए दाम बढ़े हुए रहते हैं.
- सबसे ज्यादा मुनाफा बकरी के बच्चों से होता है. बकरी एक बार में दो से चार तकए बच्चे देती है.
- बकरी शरीर से मजबूत होती है तो दूसरे पशुओं के मुकाबले कम बीमारी लगती हैं.
- बकरियों को कम बीमारी लगती हैं जिससे लागत कम हो जाती है.
- बकरी का दूध आसानी से पचने और मेडिशन वैल्यू वाला होता है.
- बकरी के दूध से आने वाली अजीब से गंध को भी कंट्रोल कर लिया गया है.
- बकरी के दूध में अमीनो एसिड जैसे हिस्टिडीन, एस्पार्टिक एसिड, फेनिलएलनिन और थ्रेओनीन होते हैं. बकरी के दूध में खनिज जैसे सोडियम, आयरन, कॉपर भरपूर मात्रा में होते हैं.
- बकरी के दूध में विटामिन ए, निकोटिनिक एसिड और कोलीन भरपूर मात्रा में होते हैं.
- चमड़े के लिए बकरी की खाल उच्च गुणवत्ता वाली होती है.
- ब्लैक बंगाल बकरी की खाल दुनिया में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली मानी जाती है.
- बकरे का मीट बहुत स्वादिष्ट, पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है.
- पहाड़ी इलाकों की बकरी के बाल जैसे पश्मीना और मोहायर की कीमत बहुत ज्यादा है.
- बकरी के मल-मूत्र में एनपीके की मात्रा ज्यादा होती है, इससे खेत में मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है.
- बकरियां कम जगह में और दूसरे पशुओं के साथ आराम से रह लेती हैं.
- जमीन पर जगह कम हो तो अच्छी ग्रोथ के साथ बकरियों को छत पर भी पाला जा सकता है.
- जरूरी नहीं है कि बकरियों को खुले में चराने के लिए ले जाया जाए.
- बकरियों की ज्यादातर नस्ल अब स्टॉल फीड पर ही पल जाती हैं.
- पालने के लिए बकरियां आसानी से मिल जाती हैं. गाय-भैंस के मुकाबले सस्ती भी होती हैं.
- बकरियों की 39 नस्ल हैं जो हर तरह के मौसम में पल जाती हैं.
- दूध-मीट और ब्रीडिंग के लिए बकरियां पालकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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