प्राकृतिक खेती धीरे-धीरे समय की मांग बनती जा रही है. क्योंकि प्राकृतिक खेती पर्यावरण को अनुकूल बनाती है. प्राकृतिक खेती कर उगाई गई सब्जियों और फलों का स्वाद काफी स्वादिष्ट होता है. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार प्रयासरत हैं. वहीं प्राकृतिक खेती का मूल्य उद्देश्य कम लागत में किसानों की आमदनी को बढ़ाना और खेतों की उर्वरता को बरकरार रखना है. राष्ट्रीय मिशन प्राकृतिक खेती प्रबंधन एवं ज्ञान पोर्टल के अनुसार, प्राकृतिक खेती के बारे में जानने के बाद हिमाचल प्रदेश के घुमारवीं ब्लॉक के ग्राम कसोहल के किसान बचित्तर सिंह ने प्राकृतिक खेती करके सफलता प्राप्त किया है. उन्होंने दो हजार रुपये के लागत में खेती कर 1.30 लाख रुपये का मुनाफा कमाया है.
बचित्तर सिंह शुरूआत में रासायनिक खेती करते थे. लेकिन, लागत के हिसाब से ज्यादा मुनाफा नहीं मिलने के कारण उन्होंने रासायनिक खेती छोड़ दी. उसमें उनकी 60 हजार रुपये की लागत का मुनाफा अधिक नहीं मिलता था. तब उन्होंने रासायनिक खेती को छोड़ प्राकृतिक खेती की ओर अपने आप को अग्रसर किया और सफल हुए.
बछत्तर सिंह ने प्राकृतिक खेती कर फसल और सब्जियों का उत्पादन किया. उन्होंने फसलों में सोयाबीन, मटर, चना और मक्का आदि की खेती और सब्जियों में टमाटर, लौकी, और फूलगोभी आदि की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया. इन सभी फसलों की प्राकृतिक तरीके से खेती उन्होंने अपने 12.5 बीघे खेतों में किया. जिसमें उन्हें दो हजार की लागत पर कुल 1.30 लाख रुपये का मुनाफा हुआ.
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प्राकृतिक खेती को रासायनमुक्त खेती के रूप में जाना जाता है. जिसमें केवल प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है. आज के समय में प्राकृतिक खेती का महत्व बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि भूमि में रसायन और खाद के प्रयोग से उर्वरा शक्ति नष्ट होती जा रही है. वहीं प्राकृतिक खेती एक कृषि की पुरानी पद्धति है. यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखने में मदद करती है. इसमें रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है. इसकी खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं सिर्फ उन्ही का कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है. इसके लिए गाय का गोबर सबसे उपयुक्त माना जाता है. प्राकृतिक खेती के लिए गौ पालन भी बेहद जरुरी होता है.
प्राकृतिक खेती से किसानों की उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. वही इसकी खेती करने वाले किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा भी होता है. इसकी खेती में प्राकृतिक खाद का प्रयोग होने से यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. वहीं यह पार्यावरण के लिए भी काफी बेहतर होता है. प्राकृतिक खेती के लिए पानी का भी कम इस्तेमाल किया जाता है. प्राकृतिक खेती के फायदे को देखते हुए अलग-अलग राज्यों में किसानों का रूझान इसकी ओर बढ़ता जा रहा है.