झारखंड का खूंटी जिला अफीम की खेती को लेकर 'मिनी अफगानिस्तान' बन चुका है. यहां 10 किमी के दायरे में अफीम की खेती हो रही है. सुदूर क्षेत्र के जंगलों के बीच सिर्फ अफीम ही अफीम लहलहाते नजर आते हैं. इसकी खेती से बचने को लेकर पुलिस प्रशासन लोगों को चेताता रहा है. इसके बावजूद लोग समझने को राजी नहीं दिखते. यहां के लोग पैसों की लालच में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती कर रहे हैं. अब प्रशासन के लिए भी इस खेती को नष्ट करना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. दो दिन पहले जिले के एसपी अमन कुमार और डीसी शशि रंजन खुद ही मोर्चा संभालते हुए बिरबांकी के सुदूर क्षेत्र में लगे अफीम के खेत पहुंच गए और डंडे लेकर अफीम के पौधे तोड़ने लगे.
एसपी ने बताया कि इस बार अफीम की बड़े पैमाने पर खेती हुई है और इसके खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. अभियान में जिला पुलिस बल, सीआपीएफ और पैरा मिलिट्री फोर्स के अलावा हरेक थाना क्षेत्र के थाना प्रभारियों को विशेष टास्क बना कर अफीम के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
खूंटी जिले के राहे ओपी क्षेत्र के सेरेंगडीह गांव के आसपास जंगल में पुलिस और एसएसबी 26वीं बटालियन के जवानों ने संयुक्त अभियान में 18 एकड़ में लगे अफीम (पोस्ते) की खेती को नष्ट किया. इस अभियान में रागे ओपी प्रभारी रामरेखा पासवान की टीम, एसएसबी 26वीं बटालियन ए कंपनी के इंस्पेक्टर जगन्नाथ उरांव, भूपेंद्र कुमार, हरदीप सिंह, दीपक कुमार और अन्य जवान शामिल रहे.
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अफीम की खेती को नष्ट करने में झारखंड अन्य राज्यों से आगे है. झारखंड में साल 2011 से अबतक अफीम की खेती नष्ट करने में प्रशासन कई कार्रवाई कर चुका है. झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, साल 2011 में 26.85 एकड़, 2012 में 66.6 एकड़, 2013 में 247.53 एकड़, 2014 में 81.26 एकड़, 2015 में 516.69 एकड़, 2016 में 259.19 एकड़, वहीं साल 2017 में 2676.5 एकड़ और साल 2018 में 2160.5 एकड़ जमीन में की गइ अफीम के खेती को नष्ट किया गया है.
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