व्यापार छोड़ शुरू की मशरूम की खेती, अब 22 लाख मुनाफा कमा रहा ये किसान

व्यापार छोड़ शुरू की मशरूम की खेती, अब 22 लाख मुनाफा कमा रहा ये किसान

किसान प्रदीप कौशिक बताते हैं कि उन्होंने मशरूम की खेती को लगातार बढ़ाने का प्रयास किया है. वर्तमान समय में करीब एक एकड़ भू‌मि पर मशरूम उत्पादन कर रहे हैं. इसके साथ ही मशरूम की खाद भी तैयार करते हैं. उनकी खाद की डिमांड हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों में भी बढ़ रही है.

हरियाणा के मशरूम किसान प्रदीप कौशिकहरियाणा के मशरूम किसान प्रदीप कौशिक
क‍िसान तक
  • SONIPAT,
  • Feb 02, 2023,
  • Updated Feb 02, 2023, 7:41 PM IST

हरियाणा में कई किसान परंपरागत खेती कर रहे हैं. खेती में बढ़ती लागत और कम उत्पादन को देखते हुए किसानों का खेती से मोहभंग होता जा रहा है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो परंपरागत खेती को छोड़ कर आधुनिक खेती अपनाकर न सिर्फ लाखों रुपये कमा रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं. इन्हीं किसानों में एक हैं गन्नौर के गांव गढ़ी ‌केसरी निवासी प्रदीप कौशिक. प्रदीप कौशिक ने अपना व्यापार छोड़ कर मशरूम की खेती अपनाई और आज लाखों रुपये कमा रहे हैं. यही नहीं, लोगों को रोजगार देने के साथ ही दूसरे किसानों के लिए मिसाल बने हुए हैं.

सोनीपत के गांव गन्नौर के रहने वाले किसान प्रदीप कौशिक ने बताया कि उनका पहले दिल्ली में स्पेयर पार्ट्स का व्यापार था. एक बार प्रो. डॉ. अजय यादव से उनकी मुलाकात हुई. उन्होंने मशरूम की खेती के बारे में बताया. इसके बाद उन्होंने मशरूम की खेती करने का मन बना लिया. वर्ष 2013 में मशरूम की खेती करने के लिए व्यापार छोड़ दिया और डॉ. अजय यादव से तीन महीने तक ट्रेनिंग ली. उनके लिए भले ही यह नाम काम था, लेकिन वे इसे करना चाहते थे. वे खेती को ही अपना रोजगार बनाना चाहते थे, इसलिए ट्रेनिंग लेकर मशरूम की खेती में लग गए.

ट्रेनिंग लेने के बाद प्रदीप कौशिक ने दो झोपड़ियों से मशरूम उत्पादन की शुरुआत की, जिसमें हजारों रुपये की बचत हुई. उसके बाद उनकी लगन और बढ़ गई. धीरे-धीरे उन्होंने मशरूम की खेती को बढ़ाना शुरू किया. दो झोपड़ियों से शुरू कर अब 40 झोपड़ियों में वे मशरूम की खेती कर रहे हैं जिससे उनकी बेहद अच्छी कमाई हो रही है. प्रदीप बताते हैं कि डॉ. अजय यादव से आज भी मशरूम उत्पादन की नई तकनीक सीखते रहते हैं.

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किसान प्रदीप कौशिक बताते हैं कि उन्होंने मशरूम की खेती को लगातार बढ़ाने का प्रयास किया है. वर्तमान समय में करीब एक एकड़ भू‌मि पर मशरूम उत्पादन कर रहे हैं. इसके साथ ही मशरूम की खाद भी तैयार करते हैं. उनकी खाद की डिमांड हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों में भी बढ़ रही है. यही नहीं, विदेशों से लोग उनका फार्म देखने के लिए आ रहे हैं. इस कारण उनकी मशरूम की डिमांड बढ़ती जा रही है. उनकी मशरूम प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों में भी भेजी जा रही है. वर्तमान में मशरूम तैयार होने से पहले ही ऑर्डर बुक हो जाते हैं.

मशरूम की खेती सितंबर माह में शुरू होती है और मार्च तक चलती है. करीब छह महीने की खेती होती है जिसमें उनको 20 से 22 लाख रुपये तक की बचत होती है. यही नहीं, मशरूम की खेती करते हुए 60 से 70 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. साथ ही अन्य किसानों को भी मशरूम की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. प्रदीप कौशिक की मशरूम की खेती उनके इलाके में सुर्खियां बन गई हैं. यहां तक कि दूर-दूर से किसान मशरूम की खेती देखने और सीखने आते हैं. जिस तरह उन्होंने दूसरे से ट्रेनिंग ली, वैसी ट्रेनिंग वे बाकी किसानों को भी दे रहे हैं ताकि उनका रोजगार और उनकी कमाई बढ़ाई जा सके. प्रदीप कौशिक को मशरूम उत्पादन के लिए वर्ष 2015 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. (रिपोर्ट/पवन राठी)

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