कभी गांजे की खेती के लिए थे बदनाम, अब लौकी उगाकर कमा लेते हैं 50,000 रुपये

कभी गांजे की खेती के लिए थे बदनाम, अब लौकी उगाकर कमा लेते हैं 50,000 रुपये

ओडिशा में एक गांव के 15 किसानों ने रोजी-रोटी के लिए लौकी की खेती शुरू की और उसमें उन्हें अच्छी सफलता मिल रही है. इन किसानों का कहना है कि जिस तरह की जिंदगी वे जीना चाह रहे थे, वे अब उस सपने को पूरा कर पा रहे हैं. इसमें लौकी की खेती बड़ी मदद कर रही है. इस बारे में किसान मनमोहन सरका ने कहा, "पहले हम खुद खेती करते थे. अभी एनजीओ की मदद से हम आधुनिक तकनीक सीख रहे हैं और जमीन के एक छोटे से टुकड़े से अधिक मात्रा में लौकी की फसल उगा रहे हैं."

सब्जियों की खेतीसब्जियों की खेती
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 11, 2024,
  • Updated Nov 11, 2024, 6:03 PM IST

ओडिशा का रायगढ़ जिला नक्सल प्रभावित रहा है. यहां तक कि नक्लली अपने इशारे पर इस जिले में गांजे की खेती कराते थे और उससे अवैध कमाई करते थे. यहां के चंद्रपुर ब्लॉक का कुसुमगुड़ी गांव इस काम के लिए बदनाम रहा है. नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गांजे की खेती होती थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं. जो इलाका पहले गांजे के लिए बदनाम था, अब उसी इलाके में सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है. इससे किसानों में खुशहाली लौटी है.

दरअसल, इस गांव के लोग पहले नक्सली के नाम पर बदनाम थे. वे मुख्यधारा से कटे हुए थे. उनके सारे काम अवैध होते थे. लेकिन अब उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ अच्छाई को अपनाया है. वे अब समाज की मुख्यधारा के हिस्सा हैं जिसमें खेती उनकी बड़ी मदद कर रही है. इसमें किसानों की मदद कर रही है लौकी की खेती. यहां के कई किसान लौकी की खेती से अपनी किस्मत संवार रहे हैं. उनकी सफलता को देखकर दूसरे किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं और लौकी की खेती में आगे बढ़ रहे हैं.

खेती से किसानों को फायदा

इस गांव के 15 किसानों ने रोजी-रोटी के लिए लौकी की खेती शुरू की और उसमें उन्हें अच्छी सफलता मिल रही है. इन किसानों का कहना है कि जिस तरह की जिंदगी वे जीना चाह रहे थे, वे अब उस सपने को पूरा कर पा रहे हैं. इसमें लौकी की खेती बड़ी मदद कर रही है. इस बारे में किसान मनमोहन सरका ने कहा, "पहले हम खुद खेती करते थे. अभी एनजीओ की मदद से हम आधुनिक तकनीक सीख रहे हैं और जमीन के एक छोटे से टुकड़े से अधिक मात्रा में लौकी की फसल उगा रहे हैं." 

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इसी तरह की बात कहते हुए एक अन्य किसान बिजय कुमार कदमरी ने 'ओडिशा टीवी' से कहा, "यह बहुत लाभदायक व्यवसाय है. पहले साल में मैंने 40,000-50,000 रुपये कमाए हैं." पहले ये किसान अपने रोजी-रोटी के लिए अवैध गांजा की खेती पर निर्भर थे. हालांकि, पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी के डर से गांव के लोगों ने इस काम को छोड़ दिया और अब एनजीओ की मदद से वे लौकी की खेती में सफलता की कहानी लिख रहे हैं.

डांगासरदा के सरपंच भीमा जंगरंगा ने कहा, "पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद, उन्होंने (गांव के लोगों) गांजा की खेती से खुद को दूर कर लिया है. अब वे माओवादियों से जुड़े नहीं हैं." एनजीओ के सदस्य एस दिनेश कुमार ने कहा, "हम किसानों को लौकी की खेती के बारे में जरूरी ट्रेनिंग दे रहे हैं और इससे वे आत्मनिर्भर बनकर उनके जीवन में बदलाव ला रहे हैं." चंद्रपुर के बीडीओ अक्षय कुमार मलिक ने कहा, "लौकी की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है. इस क्षेत्र के किसान अपनी आजीविका बढ़ाने में कामयाब रहे हैं."

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