बिहार के युवाओं में सरकारी नौकरी को लेकर जुनून कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब सपनों की उड़ान को नई दिशा मिल जाए तो वह मिसाल बन जाती है. वैशाली के नीतीश कुमार भी एक ऐसे ही युवा हैं, जिन्होंने कभी बैंक की नौकरी पाने के लिए दिन रात एक कर दिए थे. मगर जब किस्मत ने दरवाज़ा नहीं खोला, तो उन्होंने खुद अपने लिए एक नया रास्ता बना लिया — स्वरोजगार का रास्ता. आज वही नीतीश न सिर्फ सोलर डीहाइड्रेटर मशीन बनाने की अपनी फैक्ट्री चला रहे हैं, बल्कि महज दो साल में उनकी कंपनी का टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपये को पार पहुंच गया है. नीतीश का मानना है कि सरकारी नौकरी के पीछे भागने के बजाय, अपने हुनर पर भरोसा करें और आत्मनिर्भर बनें.
वैशाली जिले के विदुपुर प्रखंड के रहने वाले नीतीश कुमार कहते हैं कि उन्होंने साल 2010 में ऑफिस मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन पूरी की थी. इसके बाद करीब 3 से 4 साल तक सरकारी बैंकों में नौकरी के लिए दिन-रात मेहनत की. कई बार लिखित परीक्षा तो पास कर ली थी, लेकिन इंटरव्यू में सफलता नहीं मिली. इससे सरकारी नौकरी का सपना अधूरा रह गया. लेकिन इस असफलता से हार नहीं मानकर केले के थंब से रेशे तैयार करने का काम शुरू किया. फिर वह किसानों से जुड़ने लगे और कृषि से संबंधित समस्याओं को नजदीक से समझने लगे.
नीतीश कुमार बताते हैं कि साल 2017-18 में आई बाढ़ ने उनके व्यवसाय की दिशा ही बदल दी. जब वे किसानों से केले के पौधे लेने पहुंचे, तो एक किसान ने उनसे कहा, “पौधा तो ले रहे हो , लेकिन खराब हो रहे केले के फलों का क्या करें?” बस यही बात नीतीश के मन में घर कर गई. इसके बाद नीतीश ने अपने टेक्निकल क्षेत्रों में काम करने वाले मित्रों से संपर्क किया और 'सोलर ड्रायर' मशीन बनाने का विचार आया. साथ ही उन्होंने फल और सब्जियों को सुखाकर उनका वैल्यू एडेड प्रोडक्ट तैयार करने का निर्णय किया.
पिछले दो सालों से नीतीश सोलर डीहाइड्रेटर मशीन की बिक्री कर रहे हैं. इस दौरान वे अब तक 150 से अधिक मशीनें बेच चुके हैं. वहीं हर महीने करीब 5 से 6 मशीनें बिक जाती है. उनका कहना है कि वे केवल मशीनें ही नहीं बेचते, बल्कि जो लोग इस मशीन को व्यवसाय के उद्देश्य से खरीदते हैं, उन्हें उनके उत्पादों के लिए तीन साल तक बाजार भी उपलब्ध कराते हैं, ताकि उन्हें अपने कारोबार को आगे बढ़ाने में किसी तरह की परेशानी न हो. नीतीश खुद भी इस सोलर ड्रायर मशीन की मदद से फलों और सब्जियों से पाउडर तैयार करते हैं, जिनमें केले का आटा बड़े पैमाने पर बनाया जाता है.
महज दो सालों में ही नीतीश की कंपनी का टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इस आय में सोलर ड्रायर मशीन की बिक्री के साथ-साथ फलों एवं सब्जियों को सुखाकर आटा एवं अन्य वैल्यू एडेड उत्पादों से होने वाली कमाई भी शामिल है. नीतीश ने अपना स्टार्टअप शुरू करने के लिए बिहार सरकार के उद्योग विभाग से ‘बिहार स्टार्टअप नीति’ के तहत 10 लाख रुपये की सहायता प्राप्त की है. उन्होंने अपनी मशीन फैक्ट्री सारण ज़िले में स्थापित की है, जहां वर्तमान में 14 से अधिक लोग कार्यरत हैं. उनकी बनाई गई सोलर ड्रायर मशीन की कीमत 15 हजार रुपये से लेकर 2 लाख 50 हजार रुपये तक है.
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