खेती-किसानी में रोज नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. यही वजह है कि अब लोग फसलों की खेती घर की छत पर कर रहे हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अब ड्रैगन फ्रूट की भी खेती छत पर शुरू हो गई है. ऐसा कर दिखाया है लखनऊ के विनोद कुमार पांडेय ने. जो आज हजारों किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गए है. राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के निवासी विनोद कुमार पांडेय घर की छत पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं.
इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में पांडेय ने बताया दो साल पहले ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाया था. पौधा लगाने के बाद पिछले और इस सीजन में खूब फल आए. अभी 12 से अधिक फल की हम तुड़ाई कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि जुलाई से लेकर सितंबर तक फल आते रहते है. वहीं काफी अच्छी मात्रा में इसकी फ्रूटिंग होती है.
एक निजी कंपनी में काम करने वाले विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि छत पर ड्रैगन फ्रूट खेती के दौरान ध्यान रहे कि पौधे को भरपूर धूप मिले. गर्मियों में इन पौधों को विशेष देखभाल की जरूरत है. इसके अलावा इन्हें सर्दियों में कम पानी देना चाहिए. ड्रैगन फ्रूट को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, वरना जड़ें सड़ सकती हैं. समय-समय पर गोबर खाद डालना चाहिए.
उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में लागत बहुत कम आती है. एक पौधे से हर साल 4 से 5 किलो फल आराम से मिल जाते हैं. अगर छत पर 10 से 15 पौधे लगा दिए जाएं तो सालाना 50 से 60 फल निकल सकते हैं. इन्हें बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन हम किसी बिजनेस के तौर पर इसकी खेती नहीं कर रहे है. बल्कि परिवार और बाहर के लोगों को ताजा फल मिले इसलिए इसका पौधा लगाया था. विनोद छत पर लगे बगीचे की देखरेख करते हैं, जिसमें करीब 20 ड्रैगन फ्रूट के पौधे हैं.
दरअसल, ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है. विनोद बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की बाजार में भारी डिमांड रहती है. सीजन के अनुसार इस एक किलो फल की कीमत 300 से 500 रुपये तक रहती है. उन्होंने बताया कि दो साल के भीतर ही पौधों ने फल देना शुरू कर दिया. वहीं, एक साल बाद बंपर उपज मिलने लगी. विनोद ने बताया कि उन्होंने पिछले 32 साल से बाजार से कभी सब्जियां नहीं खरीदी हैं.
सबसे खास बात है कि वो किचन गार्डनिंग को आज बढ़ावा दे रहे है. मौजूदा समय में विनोद कुमार पांडेय 500 से अधिक गमलों के जरिए अलग-अलग सीजनल सब्जियों की पैदावार अपने घर पर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि करीब 150 पौधे सब्जियों के आज हमारे पास है. जहां से हम अपने खाने भर के लिए ताजा हरी सब्जियों को तोड़ लेते है.
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