
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने और खेती को टिकाऊ बनाने के लक्ष्य की दिशा में लगातार काम कर रही है. प्रदेश में रासायनिक खादों के अंधाधुंध उपयोग से बिगड़ती मिट्टी की सेहत को लेकर सरकार अब मिशन मोड में है. खेती की उत्पादकता और मिट्टी की उर्वरता को सुधारने के लिए योगी सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का अभियान तेज कर दिया है. रासायनिक उर्वरकों के बहुत ज्यादा प्रयोग से उत्तर प्रदेश की उपजाऊ मिट्टी की गुणवत्ता तेजी से गिर रही है.
प्रयागराज मंडल में कृषि विभाग द्वारा किए गए हालिया मृदा परीक्षण के आंकड़े बताते हैं कि मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा न्यूनतम मानक से नीचे पहुंच चुकी है. क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के सहायक निदेशक पीयूष राय के अनुसार, मंडल के चार जिलों में खरीफ की फसलों की 84,400 और रबी की फसलों की 36,440 मिट्टी के नमूने जांचे गए.
परिणामों में पाया गया कि ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा तय न्यूनतम 0.5 से 0.75 प्रतिशत से काफी नीचे है. इसका सीधा असर फसलों की उत्पादकता पर पड़ा है. प्रयागराज के उप निदेशक कृषि पवन कुमार विश्वकर्मा के अनुसार, वर्ष 2020-21 की तुलना में 2023-24 में गेहूं की उत्पादकता 28.15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से घटकर 24.04 क्विंटल रह गई है. इसी अवधि में मक्का की पैदावार 18.25 से घटकर 12.89, जौ 20.4 से 16.5, बाजरा 12.32 से 9.13 और धान 31.90 से 28.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई.
इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं. प्रयागराज मंडल के प्रभारी संयुक्त निदेशक कृषि एस.के. राय के अनुसार, मंडल के प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी और प्रतापगढ़ जिलों में 892 क्लस्टर बनाए गए हैं, जिनमें 27,409 किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं. अब तक 17,965 हेक्टेयर क्षेत्र प्राकृतिक खेती के तहत लाया जा चुका है.
प्रयागराज जिले के फूलपुर क्षेत्र के रमईपुर गांव के किसान उमेश पटेल बताते हैं कि रासायनिक खादों के कारण उनकी मक्का की फसल में लागत बढ़ रही थी और मुनाफा घट रहा था. उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर रुख किया और अब वे 10 हेक्टेयर क्षेत्र में रसायनमुक्त मक्का की खेती कर रहे हैं. इस सीजन में उन्होंने 10 लाख रुपये से अधिक की आमदनी हासिल की है.
योगी सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था की है. ‘भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना’ के तहत किसानों को प्रति एकड़ वित्तीय सहायता दी जा रही है. पहले वर्ष में प्रति एकड़ 4800 रुपये और अगले दो वर्षों में प्रति वर्ष 3600 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है. इसके अलावा, जैविक बीज प्रबंधन के लिए भी सरकार अलग से धनराशि उपलब्ध करा रही है.
प्राकृतिक खेती के प्रसार में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका को भी सरकार ने अहम माना है. प्रयागराज मंडल में ग्रामीण महिलाओं को ‘कृषि सखियों’ के रूप में नियुक्त किया गया है. संयुक्त निदेशक कृषि संतोष कुमार राय के मुताबिक, 13 कृषक विकास केंद्रों पर इन कृषि सखियों को प्रशिक्षण दिया गया है. अब वे गांव-गांव जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ समझा रही हैं. कृषि सखियों को इसके लिए हर महीने 5000 रुपये का मानदेय भी दिया जा रहा है.
योगी सरकार की यह पहल प्रदेश की मिट्टी की सेहत सुधारने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने का माध्यम बन रही है. प्राकृतिक खेती से न केवल लागत घट रही है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता और उपज में भी सुधार हो रहा है. सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश का बड़ा हिस्सा जैविक खेती के अंतर्गत आए और राज्य कृषि आत्मनिर्भरता की दिशा में नए आयाम स्थापित करे.