
उत्तर प्रदेश ने बीते आठ वर्षों में कृषि क्षेत्र में ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जो आजादी के बाद से 2017 तक की धीमी रफ्तार को पीछे छोड़ दिया है. इस कीर्तिमान को स्थापित करने में अधूरी पड़ी योजनाओं को तेज़ी से पूरा किया गया है. साथ ही किसानों को आधुनिक तकनीक, सिंचाई और सीधी वित्तीय सहायता का लाभ मिला है. दरअसल, उत्तर प्रदेश की कृषि विकास दर 2016-17 के 8.6 फीसदी से बढ़कर 2024-25 में 17.7 फीसदी हो गई है. यह वृद्धि किसानों तक पहुंचने वाली सरकारी योजनाओं, समर्थन मूल्य में वृद्धि के कारण हुई है. राज्य सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिसमें प्राकृतिक खेती और फसल उत्पादन में वृद्धि पर जोर दिया जा रहा है.
1. सरकारी योजनाओं का लाभ: 'किसान कल्याण मिशन' और 'पीएम किसान' जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को सीधे आर्थिक सहायता मिल रही है.
2, समर्थन मूल्य में वृद्धि: सरकार ने धान, गन्ना और अन्य फसलों के समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है, जिससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर दाम मिल रहा है.
3, तकनीकी और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा: प्रदेश में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे उत्पादन और पर्यावरण दोनों को लाभ हो रहा है.
4. फसल उत्पादन में वृद्धि: गेहूं, चावल, दलहन और तिलहन जैसी मुख्य फसलों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की कमाई बढ़ी.
5. बुनियादी ढांचे का विकास: कृषि विभाग द्वारा भूमि सुधार, जल प्रबंधन और जैव उर्वरक प्रयोगशालाओं जैसे विभिन्न परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.
इथेनॉल उत्पादन: बता दें कि यूपी का इथेनॉल उत्पादन 42.27 प्रतिशत का योगदान है, जो लगभग सभी राज्यों के आंकड़ों का लगभग आधा है. 2023-24 में प्रदेश ने 180 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया, और 2024-25 के लिए स्थापित क्षमता 223.9 करोड़ लीटर है. यह मुख्य रूप से गन्ने और मक्के जैसे स्रोतों से किया जाता है. इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और पर्यावरण प्रदूषण को कम करना है.
तिलहन उत्पादन: उत्तर प्रदेश तिलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है. यूपी का तिलहन उत्पादन 6.90 प्रतिशत योगदान है, जिसमें सरसों, तिल, मूंगफली और सोयाबीन जैसी फसलें शामिल हैं. सरकार प्रदेश को तिलहन और दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किसानों को बीज मिनी किट और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी सहायता दे रही है पिछले कुछ वर्षों में तिलहन उत्पादन में वृद्धि देखी गई है और सरकार 2026-2027 तक आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य बना रही है.
दलहन उत्पादन: उत्तर प्रदेश दलहन उत्पादन में वृद्धि कर रहा है और 2024 में उत्पादन 3.25 मिलियन टन से अधिक हो गया है. हालांकि, भारत में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य नहीं होने के बावजूद, यह उत्पादन बढ़ाने के लिए कई सरकारी योजनाएं लागू कर रहा है. यहां दलहन का 14.1 प्रतिशत उत्पादन होता है.
चावल उत्पादन: उत्तर प्रदेश चावल उत्पादन में भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जो वार्षिक रूप से लगभग 14 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन करता है. यह राज्य कुल चावल उत्पादन का लगभग 14.7 प्रतिशत योगदान देता है और इसकी चावल की खेती के लिए 5.86 लाख हेक्टेयर से अधिक में खेती होती है.
गेहूं उत्पादन: उत्तर प्रदेश गेहूं उत्पादन में भारत का सबसे अग्रणी राज्य है और देश के कुल गेहूं उत्पादन में इसका योगदान 35.3 प्रतिशत है. 2024-25 में प्रदेश ने 414.39लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन किया, जो देश के कुल उत्पादन का 35 से अधिक है.
दुग्ध उत्पादन: यूपी दूध उत्पादन में भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 16.21 हिस्सा है. बेसिक एनिमल हसबेंडरी स्टैटिस्टिक्स 2023-24 के अनुसार, राज्य का कुल उत्पादन 239.30 लाख लीटर टन है और प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 471 2024 हो गई है.
गन्ना उत्पादन: उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, जिसका कुल गन्ना क्षेत्र लगभग 29.51 लाख हेक्टेयर है और उत्पादन 54.5 प्रतिशत है. गन्ना उत्पादन में शामली जिला सबसे आगे है, इसके बाद मुजफ्फरनगर और मेरठ का स्थान आता है, जबकि लखीमपुर खीरी को "चीनी का कटोरा" कहा जाता है.