सरकार ने गेहूं को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. गेहूं की स्टॉक लिमिट को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन करने का निर्णय लिया गया है. स्टॉक लिमिट घटाने के फैसला इसलिए लिया गया ताकि बाजार में गेहूं की उपलब्धता अधिक से अधिक बनी रहे. उपलब्धता अधिक होने से गेहूं के भाव को कम करने में मदद मिलेगी. स्टॉक लिमिट घटाने का फैसला इसलिए भी लिया गया है क्योंकि ऐसी खबर है कि 400 लाख टन गेहूं जमाखोरी की भेंट चढ़ चुका है. अगर इतना गेहूं बाजार में होता तो दाम और सप्लाई की कोई चिंता नहीं होती. लेकिन सरकार जमाखोरी की भेंट चढ़े गेहूं का पता लगाने में जुट गई है.
इसके अलावा सरकार गेहूं की इंपोर्ट ड्यूटी को 44 परसेंट से घटाकर शून्य करने का विचार कर रही है. इसका निर्णय जल्द हो सकता है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सरकार गेहूं का दाम कम करने के लिए कई तरह के विकल्प पर गौर कर रही है. इसमें स्टॉक लिमिट घटाने के साथ ही इंपोर्ट ड्यूटी भी कम करने का फैसला हो सकता है. सरकार ने यह भी कहा है कि हर हफ्ते एफसीआई के जरिये होने वाली अनाजों की नीलामी में गेहूं की एवरेज सेलिंग प्राइस को बढ़ाया जा रहा है.
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सरकार ने एक बात साफ किया है कि अभी गेहूं आयात करने की कोई योजना नहीं है. ऐसी खबर आई थी कि देश में सरकार से सरकार स्तर पर गेहूं का आयात हो सकता है, लेकिन अभी इस बात से इनकार किया जा रहा है. दूसरी ओर, स्टॉक लिमिट को लेकर सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है. 12 जून को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें कहा गया कि किसी भी कंपनी या आउटलेट के लिए 10 टन गेहूं खरीदने की लिमिट है. व्यापारियों और होलसेलर के लिए यह लिमिट 3,000 टन निर्धारित की गई. इसके बावजूद 400 लाख टन गेहूं जमाखोरी में चला गया जिसके बारे में सरकार पता लगा रही है.
देश में जून और जुलाई में जिस तरह से आटा और गेहूं के प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ी हैं, उसे देखते हुए एहतियात के कई कदम उठाए जा रहे हैं. खाद्य मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल में गेहूं का भाव 31.32 रुपये, मई में 31.27 रुपये, जून में 31.67 रुपये, जुलाई में 31.96 रुपये और अगस्त में 32.13 रुपये दर्ज किया गया है. इसी तरह, आटे का रेट अप्रैल में 36.55 रुपये, मई में 36.42 रुपये, जून में 36.95 रुपये, जुलाई में 37.18 रुपये और अगस्त में 37.37 रुपये दर्ज किया गया.
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सरकार गेहूं और आटे का भाव करने के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम चला रही है जिसमें खुले बाजार में सस्ते में गेहूं और चावल बेचा जा रहा है. सरकार इस स्कीम के जरिये बाजारों में गेहूं और चावल की सप्लाई बनाए रखना चाहती है ताकि मांग पूरी की जा सके. मांग अधिक और सप्लाई कम होने पर ही दाम बढ़ने की संभावना रहती है.