केंद्र सरकार ने पिछले दिनों बताया है कि उसने किसानों को लाभकारी कीमत सुनिश्चित करने के मकसद से और उपभोक्ताओं को जरूरी चीजें सही दामों पर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) लागू किया गया है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की मानें तो इस योजना के अहम हिस्से मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के साथ-साथ मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) हैं.
सरकार के अनुसार जब अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा के बाजार मूल्य फसल कटाई के चरम समय के दौरान अधिसूचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ जाते हैं, तो संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के अनुरोध पर पीएसएस का संचालन किया जाता है. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में सवाल के जवाब के तौर पर यह जानकारी दी.
मंत्रालय के अनुसार इसका अहम उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करके किसानों को संकटकालीन बिक्री से बचाना है. पीएसएस के तहत, निर्धारित उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) मानकों के अनुरूप पात्र वस्तुओं की खरीद, नामित केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए), यानी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड द्वारा की जाती है.'
मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत पारदर्शिता, दक्षता और संचालन में आसानी सुनिश्चित करने के लिए, नेफेड और एनसीसीएफ ने क्रमशः ई-समृद्धि और ई-समुक्ति जैसे समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किए हैं. ये पोर्टल किसान रजिस्ट्रेशन से लेकर अंतिम भुगतान तक पूरी खरीद प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करते हैं, जिससे इंसानी हस्तक्षेप कम होता है.
किसान आधार संख्या, भूमि रिकॉर्ड, बैंक खाते की जानकारी, फसल विवरण आदि जैसी बुनियादी जानकारी प्रदान करके इन पोर्टलों पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. प्री-रजिस्टर्ड किसान,अगर योजना के तहत अपना स्टॉक देने के इच्छुक हैं, तो वे अपने निकटतम खरीद केंद्र का चयन कर सकते हैं. उसके बाद, पोर्टल द्वारा किसी खास तारीख पर केंद्र पर फिजिकली उपस्थित होने के लिए समय निर्धारित किया जाता है. मंत्रालय के अनुसार यह सिस्टम किसानों के बैंक खातों में एमएसपी भुगतान का समय पर और सीधा हस्तांतरण सुनिश्चित करती है, जिससे देरी और बिचौलियों की समस्या खत्म हो जाती है.
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