पराली प्रबंधन पर उच्चस्तरीय बैठक, 12 अक्टूबर को अपने खेत से सीधी बुवाई की शुरुआत करेंगे कृषि मंत्री

पराली प्रबंधन पर उच्चस्तरीय बैठक, 12 अक्टूबर को अपने खेत से सीधी बुवाई की शुरुआत करेंगे कृषि मंत्री

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक, राज्यों को पराली प्रबंधन के लिए जागरुकता, तकनीकी समाधान और फसल विविधिकरण को अपनाने के निर्देश.

shivraj singh chouhanshivraj singh chouhan
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 07, 2025,
  • Updated Oct 07, 2025, 7:54 PM IST

नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में मंगलवार को पराली प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने की. बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कृषि और पर्यावरण मंत्री वर्चुअली शामिल हुए.

बैठक में पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण को रोकने, किसानों के लिए वैकल्पिक उपायों को बढ़ावा देने, वित्तीय सहायता, जागरुकता और निगरानी तंत्र को सशक्त करने पर विस्तार से चर्चा हुई. पंजाब, हरियाणा और यूपी के कृषि मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में पराली प्रबंधन की स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि प्रशासन और कृषि विभाग पूरी सक्रियता से काम कर रहा है.

कई राज्यों के कृषि मंत्री बैठक में शामिल

हरियाणा के कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में किसानों को पराली न जलाने के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिससे सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पंचायत और ग्राम स्तर पर जनप्रतिनिधियों और नोडल अधिकारियों की भागीदारी बढ़ाई जाए.

उन्होंने राज्यों से सीधी बुवाई (Direct Seeding of Wheat) को बढ़ावा देने का आग्रह करते हुए कहा कि 12 अक्टूबर को वे स्वयं अपने खेत में धान की कटाई के बाद गेहूं की सीधी बुवाई करेंगे, ताकि किसान प्रेरित हों और पराली प्रबंधन को अपनाएं.

चौहान ने प्रशिक्षण जागरूकता के साथ-साथ क्षमता निर्माण और लगातार निगरानी करने पर फिर जोर दिया और विश्वास व्यक्त किया कि केंद्र और राज्यों के मिले जुले प्रयासों के जरिए आने वाले समय में पराली जलाने की घटनाओं में जरूर और कमी आएगी. रियल टाइम मॉनिटरिंग यानी आंखों- देखी निगरानी आवश्यक है. उन्होंने आशा प्रकट की कि आगे बेहतर काम होगा और हम पर्यावरण और जलवायु को संरक्षित करने में सफल होंगे.

पराली निपटान के लिए मशीन से होगा काम

चौहान ने कहा कि रोटावेटर, चॉपर, बायो-डीकंपोजर, मल्चिंग, बायो-सीएनजी संयंत्र, इथनॉल प्लांट्स और कंपोस्ट इकाइयों को पराली निस्तारण के लिए बढ़ावा दिया जाए. उन्होंने राज्यों को मिले फंड का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने और फसल विविधिकरण (Crop Diversification) को प्राथमिकता देने की बात कही.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि अगले 10 दिनों में कृषि मंत्रालय और राज्यों के समन्वय से पराली प्रबंधन में सुधार लाया जा सकता है. उन्होंने पराली को जुटाने और भंडारण सुनिश्चित करने, और ईंट भट्टों और थर्मल प्लांट्स में उपयोग को लेकर कार्य योजना बनाने की बात कही.

बैठक में कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी, ICAR महानिदेशक डॉ. मांगी लाल जाट और अलग-अलग मंत्रालयों के अधिकारी मौजूद रहे.

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