दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में 35,440 करोड़ रुपये की दो बड़ी योजनाओं की शुरुआत की. उन्होंने 24,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना का भी शुभारंभ किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की आत्मनिर्भरता और किसानों के कल्याण के लिए दो अहम नई योजनाओं की शुरुआत हो रही है. पहली प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दूसरी दलहन आत्मनिर्भरता मिशन. ये दो योजनाएं भारत के करोड़ों किसानों का भाग्य बदलने का काम करेंगी. इन दोनों योजनाओं सरकार करीब 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने वाली है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं सभी किसान साथियों को पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं. साथियों खेती और किसानी हमेशा से हमारी विकास यात्रा की एक अहम हिस्सा रही है. बहुत जरूरी होता है कि बदलते समय के साथ खेती-किसानी को सरकार का सहयोग मिलता रहे, लेकिन दुर्भाग्य से पहले की सरकारों ने खेती-किसानी को अपने हाल पर ही छोड़ा दिया. पिछली (UPA ) सरकार की कृषि को लेकर कोई विजन और सोच ही नहीं थी. खेती से जुड़े अलग-अलग सरकारी विभाग भी अपने-अपने तरीके से काम करते थे. इस वजह से भी भारत की कृषि अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही थी.
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के भारत को तेज विकास के लिए अपनी कृषि व्यवस्था में भी सुधार करना जरूरी था और इसकी शुरुआत हुई 2014 के बाद से हुई. हमने खेती को लेकर पुरानी सरकारों के लापरवाह रवैये को बदल दिया. हमने सभी किसानों के लिए उनके हित में बीज से लेकर बाजारों तक अनगिनत रिफॉर्म किए. इसके परिणाम आज हमारे सामने हैं. बीते 11 वर्षों में भारत का कृषि निर्यात करीब दोगुना हो गया है. अनाज उत्पादन जो पहले होता था, करीब 900 लाख मीट्रिक टन और बढ़ गया है. फल और सब्जियों का उत्पादन 600 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा बढ़ गया. आज दूध उत्पादन में हम दुनिया में नंबर 1 हैं. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है. भारत में शहद उत्पादन भी 2014 की तुलना में दोगुना हो गया है. अंडे का उत्पादन भी बीते 11 सालों में डबल हो गया है.
प्रधानमंत्री ने कि इस दौरान कहा कि देश में 6 बड़ी फर्टिलाइजर फैक्ट्री बनाई गईं. 25 करोड़ से ज्यादा सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों को मिले हैं. 100 लाख हेक्टेयर में सूक्ष्म सिंचाई की सुविधा पहुंची है. पीएम फसल बीमा योजना से करीब 2 लाख करोड़ रुपये, क्लेम के रूप में किसानों को मिले हैं. बीते 11 सालों में 10 हजार से ज्यादा किसान उत्पाद संघ, FPO बने हैं. अभी मुझे आने में देरी भी इसलिए हुई क्योंकि मैं कई किसानों के साथ गोष्ठि कर रहा था. ऐसी अनेक उपलब्धियां हैं जो देश के किसान ने बीते 11 सालों में अनुभाव की हैं. लेकिन आज देश का मिजाज ऐसा बन गया है कि वो कुछ उपलब्धियों से ही संतुष्ट नहीं होता. हमें विकसित बनना है तो हर क्षेत्र में लगातार बेहतर करते ही रहना होगा, सुधार करना ही होगा. इसी सोच का परिणाम है पीएम धन धान्य कृषि योजना. इस योजना की प्रेरणा बनी है आकांक्षी जिला योजना की सफलता.
पहले की सरकारें देश के 100 से अधिक जिलों को पिछड़ा घोषित करके भूल गई थी, हमने उन जिलों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया, उनको आकांक्षी घोषित किया. इन जिलों में बदलाव का हमारा मंत्र था, कन्वर्जन, कोलैब्रेशन और कंप्टीशन. यानी पहले हर सरकारी विभाग अलग-अलग योजनाओं, जिले के हर नागरिक सब को जोड़ो, फिर सबका प्रयास के भाव से काम करो और इसके बाद बाकी जिलों के साथ स्वस्थ स्पर्धा करो. इस अप्रोच का फायदा आज दिख रहा है. साथियों इन 100 से ज्यादा पिछड़े जिलों में जिसे हम अब आकांक्षी जिले कहते हैं, 20 प्रतिशत बस्तियां ऐसी थीं, जिन्होंने आजादी के बाद से सड़क ही नहीं देखी थी. आज आकांक्षी जिला योजना की वजह से अब ऐसी ज्यादातर बस्तियों को सड़कों से जोड़ा जा चुका है. उस समय जिसे पिछड़े जिले कहते थे, उनमें 70 प्रतिशत ऐसे बच्चे थे जो टीकाकरण कार्यक्रम से बाहर थे, आज आकांक्षी जिला योजना की वजह से ऐसे ज्यादातर बच्चों को टीकाकरण का लाभ मिल रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि पीएम धन धान्य योजना के लिए 100 जिलों का चयन बहुत सोच समझकर किया गया है. तीन पैमानों पर इन जिलों का चुनाव किया गया है. पहला खेत से कितनी पैदावार होती है. दूसरा एक खेत में कितनी बार खेती होती है और तीसरा किसानों को लोन या निवेश की कोई सुविधा है और है तो कितनी मात्रा में है. साथियों हमने अकसर 36 के आंकड़े की चर्चा सुनी है. इस योजना में हम सरकार की 36 योजनाओं को एक साथ जोड़ रहे हैं. जैसे प्रकृति खेती पर राष्ट्रीय मिशन है. सिंचाई के लिए 'पर ड्रॉप-मोर क्रॉप' अभियान है. तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए तिलहन मिशन है, ऐसी अनेक योजनाओं के एक साथ लाया जा रहा है. पीएम धन धान्य योजना में पशुधन पर भी विशेष फोकस किया जा रहा है. आप जानते हैं खुरपका-मुंहपका बीमारियों से पशुओं को बचाने के लिए 125 करोड़ से अधिक टीके मुफ्त लगाए गए है. इससे पशु भी स्वस्थ हुए और किसानों की चिंता भी कम हुई है. इस योजना में स्थानीय स्तर पर पशुओं के स्वास्थ्य से जुड़े अभियान भी चलाए जाएंगे.
पीएम ने कहा कि पीएम धन धान्य योजना का डिजाइन ऐसा है कि हर जिले की अपनी जरूरत के हिसाब से इसकी प्लानिंग में बदलाव लाया जा सकता है. इसलिए मैं किसानों को संबंधित जिलों के मुखिया से आग्रहपूर्वक कहूंगा कि अब आपको जिले के स्तर पर ऐसी कारगर योजना बनानी है जो वहां की मिट्टी और जलवायु के अनुकूल हो. वहां कौन सी फसल होगी, बीज की कौन सी वैरायटी लगेगी, कौन सी खाद कब उचित रहेगी, ये आप सबको मिलकर एक नए तरीके से सोच समझकर लागू करना चाहिए.