केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर (SKUAST-K), शालीमार, श्रीनगर सेब, केसर सहित बागवानी अनुसंधान और प्रदर्शन ब्लॉकों का दौरा किया. उन्होंने बागवानी में जमीनी स्तर पर नवाचारों की समीक्षा की, साथ ही जम्मू-कश्मीर के कृषि के विद्यार्थियों, किसानों और वैज्ञानिकों से संवाद किया.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कश्मीर घाटी में बागवानी के क्षेत्र में हुई प्रगति की जानकारी ली. उन्होंने ओलावृष्टि से होने वाला नुकसान रोकने के लिए डिज़ाइन की गई सुरक्षात्मक जाल प्रणाली, वैज्ञानिक छंटाई विधियों और उपज और आय में सुधार के लिए अपनाई गई कुशल जल और पोषक तत्व प्रबंधन तकनीकों का अवलोकन भी किया. साथ ही इस संबंध में मार्गदर्शन दिया. चौहान ने राज्य में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की.
उन्होंने मधुमक्खी पालकों, कोल्ड स्टोरेज मालिकों और नर्सरी संचालकों सहित कृषि मूल्य श्रृंखला के हितधारकों के साथ भी चर्चा की. इस दौरान इन लोगों ने किसानों के कल्याण के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की सराहना की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित जम्मू-कश्मीर के दृष्टिकोण, पारंपरिक स्थानीय उपज की जीआई टैगिंग, किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी और सहायता और बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (MIDH) के माध्यम से उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण को बढ़ावा देने सहित कई प्रमुख पहलों की सराहना करते हुए महत्वपूर्ण सुझाव दिए.
यहां शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने या विकसित खेती का काम खेत में जाए बिना नहीं हो सकता, इसीलिए मैं पूरे देश में खेतों में जा रहा हूं. उन्होंने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान में हमने वैज्ञानिकों को गांवों-खेतों में भेजा था. उन्हें कहा था कि रिसर्च आपको किसानों को बताना है और किसानों ने जो इनोवेशन किया है, उनसे सीखकर आना है. साथ ही समस्याएं भी जानना है. राज्यवार किसानों की अलग-अलग समस्याएं हैं, जैसे जम्मू-कश्मीर में केसर का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में और रिसर्च हो सकती है. क्लाइमेट चेंज के कारण हेल स्टॉर्म आ जाता है, वो एक बड़ी समस्या है. हम योजनाओं में आवश्यकतानुसार परिवर्तन करेंगे. चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की मंशा है कि किसानों की हार्टिकल्चर फसल का भी बीमा होना चाहिए। इसका समाधान हो जाएगा, हार्टिकल्चर क्रॉप का बीमा सुनिश्चित करेंगे. हम गंभीरता से आपके साथ संपर्क में रहेंगे.
चौहान ने कहा कि हमारे यहां विदेशों से फल क्यों आए, हार्टिकल्चर हब जम्मू-कश्मीर को बना सकते हैं. इस संबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को निर्देश दिए हैं कि वो शोध करे कि हम कैसे उत्पादन बढ़ा सकते हैं. हम इंपोर्ट ड्यूटी के ऐसे उपाय करेंगे कि बाहर का सेब महंगा हो जाए. इससे हमारा सेब ज्यादा बिकेगा. परिवहन की दिक्कत है तो रेल मंत्रालय से बात करूंगा कि हमारे उत्पाद जल्दी बाकी हिस्सों में पहुंचें. केंद्रीय मंत्री चौहान ने आश्वस्त किया कि आपके-हमारे बीच केवल एक फोन कॉल की दूरी है. आपको बहुत जरूरी बात करना है तो मैं आपसे दिल्ली में भी मिल लूंगा. जितनी सेवा मैं कर सकूंगा, उतनी मेरी जिंदगी की सार्थकता है. भरसक कोशिश ये रहेगी कि हम आपकी समस्याओं का समाधान करें, कोई परेशानी नहीं होने देंगे.