पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) लागू की जा रही है. वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (MOVCDNER) योजना चलाई जा रही है. इन दोनों योजनाओं का मकसद किसानों को जैविक खेती से लेकर फसल की प्रोसेसिंग, प्रमाणन और बिक्री तक पूरी मदद देना है. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की तरफ से इस बारे में लोकसभा में जानकारियां दी गईं.
उन्होंने बताया कि इन योजनाओं के जरिए छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता देते हुए जैविक खेती वाले समूह (क्लस्टर) बनाए जाते हैं. साथ ही, यह प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित, पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती हैं. इनका संचालन राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के माध्यम से होता है.
दोनों योजनाओं में किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि के लिए सहायता ले सकते हैं.
साल 2016 से शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध हैं। ये योजनाएं वैकल्पिक हैं यानी राज्य सरकार और किसान अपनी इच्छा से इसमें शामिल हो सकते हैं. PMFBY उन फसलों को कवर करती है जिनके लिए पुराने रिकॉर्ड और फसल काटने के प्रयोग (CCE) के आंकड़े उपलब्ध हों. जिन फसलों पर ये आंकड़े नहीं हैं, उन्हें RWBCIS के तहत शामिल किया जा सकता है. इसमें नुकसान का आकलन मौसम के डेटा पर आधारित होता है.
राज्य सरकारें किसानों को बाजार से जोड़ने के लिए अपने राज्यों और दूसरे राज्यों के बड़े बाजारों में सेमिनार, वर्कशॉप, क्रेता-विक्रेता मीटिंग, प्रदर्शनियां और ऑर्गेनिक फेस्टिवल कराती हैं. साथ ही किसानों के संगठनों को GeM प्लेटफॉर्म और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) से जोड़ा गया है ताकि वे डिजिटल मार्केटिंग कर सकें.
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