भारत में सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के तहत सरकार ने देश का पहला त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (TSU) स्थापित किया है. संसद के एक अधिनियम के माध्यम से इसकी स्थापना की गई है, जिसे बजट सत्र 2025 में पारित किया गया था. आइए जानते हैं इस विश्वविद्यालय की पोस्ट ग्रेजुएट सीटों से लेकर भविष्य की योजनाओं तक पूरी जानकारी.
वर्तमान समय में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर (PG) कार्यक्रमों के लिए कुल 583 सीटें स्वीकृत की गई हैं. यह विश्वविद्यालय सहकारिता क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षण देने का काम करेगा.
TSU में फिलहाल चार प्रमुख पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं:
इन पाठ्यक्रमों में से एक पूर्ववर्ती ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आनंद (IRMA) से लिया गया है, जबकि बाकी तीन विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद शुरू किए गए हैं.
TSU अपने संचालन के चौथे वर्ष से बड़ी संख्या में छात्रों को प्रवेश देने में सक्षम होगा. अनुमानित प्रवेश क्षमता इस प्रकार होगी:
यह विस्तार पूरे देश में TSU के विभिन्न स्कूलों और संबद्ध संस्थानों के माध्यम से होगा.
सरकार ने विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये की एकमुश्त राशि कॉर्पस फंड के रूप में दी है. विश्वविद्यालय की वित्तपोषण संरचना सरकारी निधि, स्व-वित्तपोषण और अन्य स्रोतों के मिश्रण से तय की जाएगी.
TSU की स्थापना गुजरात में हुई है, लेकिन इसका उद्देश्य पूरे भारत में अपने विद्यालयों और संबद्ध संस्थानों के जरिए सहकारी शिक्षा का प्रसार करना है. इससे देशभर में सहकारिता के क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन तैयार किए जा सकेंगे.
24 जुलाई 2025 को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 की घोषणा करेंगे. यह नीति अगले 20 वर्षों (2025–2045) के लिए सहकारिता क्षेत्र का एक रोडमैप तैयार करेगी. इस अवसर पर सहकारिता से जुड़े सभी प्रमुख संस्थानों के अधिकारी और विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे.
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना और नई सहकारिता नीति 2025 मिलकर देश में सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा देंगे. यह विश्वविद्यालय न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक बड़ा परिवर्तन लाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में यह पहल भारत को सहकारिता आधारित विकास की ओर ले जाएगी.