पशुधन स्वास्थ्य और उनके रोगों के इलाज के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया. पशुओं की सेहत और रोगों की रोकथाम के लिए 3,880 करोड़ रुपये का बड़ा फैसला लिया गया. सरकार ने बताया कि 3,880 करोड़ रुपये की लागत से पशुओं के दो प्रमुख रोगों के इलाज और निपटारे पर फोकस किया जाएगा.
कैबिनेट ब्रीफिंग में कहा गया कि पशुधन में दो प्रमुख रोग हैं जो मवेशियों को परेशान करते हैं और जान पर बन आते हैं. ये रोग हैं- खुरपका और मुंहपका रोग यानी FMD और ब्रुसेलोसिस. इन दोनों रोगों के निवारण पर सरकार ध्यान देगी और इसके लिए 3,880 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है.
सरकार इसके लिए टीकाकरण पर केंद्रित कार्यक्रम चलाएगी. कैबिनेट ब्रीफिंग में कहा गया कि किसानों को घर-घर जाकर सहायता देने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां यानी मोबाइल वेटनरी वैन की सुविधा दी जाएगी. साथ ही सरकारी मशीनरी के जरिये इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी. इस काम की लाइव निगरानी के लिए भारत पशुधन पोर्टल शुरू किया जाएगा.
कैबिनेट में सबसे महत्वपूर्ण घोषणा पशुओं की दवाओं के लिए की गई. सरकार पशु औषधि स्कीम शुरू करेगी जिसमें क्वालिटी वाली जेनेरिक दवाएं पशुओं के लिए दी जाएंगी. जैसे इंसानों के लिए जनऔषधि परियोजना शुरू की गई है, ठीक वैसे ही पशुओं के लिए भी पशु औषधि की सुविधा शुरू की जाएगी.
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पशु औषधि को पीएम किसान समृद्धि केंद्र और सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को दिया जाएगा. पशुपालन और इससे जुड़े क्षेत्र में किसानों के बीच पारंपरिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए एथनो-वेटनरी दवाएं दी जाएंगी. कैबिनेट ब्रीफिंग में सरकारी फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम ने पशुधन स्वास्थ्य में सुधार किया है. आज लगभग 9 राज्य एफएमडी मुक्त राज्य होने के कगार पर हैं.
ब्रीफिंग में अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार ने पशुओं के स्वास्थ्य के लिए 3880 रुपये के खर्च से एक प्रोग्राम शुरू करने का निर्णय लिया है जिसमें मवेशियों के 4 बड़े रोगों को शामिल किया जाएगा. इसमें दो रोग सबसे बड़े हैं-खुरपका मुंहपका और ब्रेसेलोसिस. इसके अलावा दो और रोगों को इसमें शामिल किया गया है जिसके निवारण के लिए सरकार प्रोग्राम चलाएगी.
इस प्रोग्राम का मकसद है देश में मवेशियों की सेहत में सुधार लाना. इसमें सबसे बड़ा काम टीकाकरण का होगा. अभी तक टीकाकरण के जितने भी प्रोग्राम शुरू हुए हैं, उनके कई फायदे सामने आए हैं. पहला काम वैक्सीनेशन और दूसरा बड़ा काम मोबाइल वेटनरी यूनिट को चलाने का है जिसमें किसानों उनके घर पर पशुओं के टीकाकरण की सुविधा मिल सके.
सरकार ने इसके लिए लाइव पशुधन पोर्टल बनाया है जिस पर पशुओं के टीकाकरण की पूरी जानकारी लाइव मिल सकेगी. इसमें पता चलेगा कि कहां कितने पशुओं को टीका लगा और आगे कहां टीका लगने वाला है. इसमें पशुओं पर जियो टैग लगाकर मॉनिटरिंग का काम होगा जैसा कि विकसित देशों में होता रहा है.
जिस तरह लोगों के लिए पीएम जन औषधि योजना चलाई गई है, उसी तरह पशुओं के जेनेरिक दवाओं की योजना पशु औषधि शुरू की गई है जिससे कि किसानों को उनके पशुओं के लिए क्वालिटी जेनेरिक दवाएं दी जा सकें. किसान समृद्धि केंद्र और सहकारी केंद्रों के माध्यम से ये दवाएं किसानों को दी जाएंगी.
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सरकार ने पशुधन ज्ञान को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है. हमारे देश के इतिहास में पशुधन को रखने का एक पारंपरिक तरीका हुआ करता था जिसे फिर से अमल में लाया जाएगा. इसके ज्ञान के प्रचार प्रसार पर सरकार खर्च करेगी. देश में पहले से या अभी जो भी पशुओं के लिए पारंपरिक दवाएं चल रही हैं, उसे प्रमोट किया जाएगा.