सरकार की Public-Private Partnership for Integrated Agricultural Value Chain Development (एकीकृत कृषि मूल्य श्रृंखला विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी) योजना में अब बड़ा बदलाव किया जा रहा है. इस योजना का उद्देश्य किसानों, एफपीओ (Farmer Producer Organisations), निजी कंपनियों और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बनाना है.
अब इस योजना का लाभ उठाना पहले से आसान हो सकता है, क्योंकि सरकार किसानों की न्यूनतम संख्या की शर्त को कम करने पर विचार कर रही है.
यह योजना सरकार की एक महत्वाकांक्षी स्कीम है, जिसमें 27 केंद्रीय योजनाओं को एक साथ लाया गया है. इसका मकसद कृषि मूल्य श्रृंखला (Agri Value Chain) को मज़बूत करना और किसानों की आय बढ़ाना है. इसमें निजी कंपनियां, एफपीओ और स्टार्टअप्स मिलकर कृषि विकास के लिए काम करते हैं.
अभी तक इस योजना के तहत किसी भी प्रोजेक्ट में मैदानी इलाकों में कम से कम 500 और पहाड़ी/पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 250 किसानों का होना जरूरी था. लेकिन अब सरकार इस संख्या को घटाने पर विचार कर रही है, जिससे अधिक स्टार्टअप्स, एग्रीटेक कंपनियां और एफपीओ इस योजना से जुड़ सकें.
एक अधिकारी ने बताया कि, "कुछ फसलों जैसे अदरक और हल्दी में इतने किसानों को एक साथ जोड़ना मुश्किल होता है. इसलिए हम किसानों की संख्या कम करने का प्रस्ताव ला रहे हैं."
अब तक इस योजना के तहत कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल चुकी है:
इस योजना में किसानों की संख्या कम करने से छोटे-छोटे एफपीओ, स्टार्टअप्स और निजी कंपनियों को भी मौका मिलेगा कि वे किसानों के साथ मिलकर काम करें. इससे:
सरकार की यह पहल किसानों और एग्रीटेक कंपनियों के लिए सुनहरा अवसर है. किसानों की संख्या की शर्त में ढील मिलने से ज़्यादा से ज़्यादा कंपनियां और संगठन इस योजना में भाग ले सकेंगे. इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में आधुनिकता और निवेश भी बढ़ेगा.
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