केंद्र सरकार ने रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP बढ़ाने का फैसला किया है. सरकार ने इस मद में 84,263 करोड़ रुपये जारी करने का फैसला किया है. इसके अलावा दलहन फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 11,000 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी गई है. यह पैकेज 6 साल के लिए होगा. इस फंड का इस्तेमाल देश में दलहन की खेती को बढ़ावा देने और दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जाएगा. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को दिवाली का तोहफा देते हुए डीए में बढ़ोतरी का ऐलान किया है.
देश में दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार योजनाएं चला रही है. पानी सोखने वाली धान जैसी फसल की खेती को कम करने और दलहन-तिलहन को बढ़ावा देने पर सरकार का फोकस है. इसे देखते हुए अगले 6 साल के लिए सरकार ने 11,000 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. बुधवार की कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला लिया गया.
सरकार ने पिछली बार भी रबी फसलों का एमएसपी बढ़ाने का ऐलान किया था. इस बार दिवाली और दशहरा से ठीक पहले एमएसपी बढ़ाने की घोषणा कर सरकार ने किसानों को तोहफा दिया है. किसान लंबे दिनों से फसलों का एमएसपी बढ़ाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं. इसके लिए किसानों ने आंदोलन भी किया है और पंजाब में कई महीने तक किसान धरने पर बैठे रहे.
दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए 11,000 करोड़ का फंड बड़ा रोल निभा सकता है. इस फंड को दलहन की खेती को बढ़ाने के लिए किसानों की योजनाओं पर खर्च किया जाएगा. इस फंड की मदद से किसानों को सब्सिडी दी जाएगी ताकि वे दलहन की खेती पर अधिक जोर दें.
कैबिनेट की फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, हमने सब्जियों और दालों के लिए मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना करके गरीब की थाली की सुरक्षा पर काम किया है. हम दालों, खाद्य तेलों और सब्जियों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनकर गरीब की थाली की सुरक्षा के अपने प्रयासों का विस्तार करेंगे.
मंत्रिमंडल ने दालों में आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी दी. केंद्र प्रायोजित योजना, परिव्यय: 11,440 करोड़ रुपये. इसकी अवधि 6 वर्ष है. इसके अलावा, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दालों की खरीद के लिए पीएम आशा गारंटी 45,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 60,000 करोड़ रुपये कर दी गई है. इसके तहत निम्नलिखित काम किए जाएंगे-
1. गुणवत्तापूर्ण बीज और प्रशिक्षण: किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके अलावा, नई किस्मों के अनुसंधान और विकास और किसानों के प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
2. क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण: 416 लक्षित जिलों की पहचान की गई है.
3. खेती के क्षेत्र का विस्तार: 35 लाख हेक्टेयर (275 से 310 लाख हेक्टेयर) तक.
4. बुनियादी ढांचे का सुदृढ़ीकरण: पैकेजिंग और प्रसंस्करण के लिए 1,000 नई इकाइयां.
5. सुनिश्चित खरीद: पंजीकृत किसानों द्वारा उत्पादित तुअर, उड़द और मसूर की 100% खरीद की जाएगी.
6. मूल्य स्थिरता: वैश्विक मूल्य उतार-चढ़ाव की निगरानी.
इसके साथ ही मोदी सरकार ने रबी सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करने का ऐलान किया. रबी सीजन के लिए 84,263 करोड़ रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने रबी सीजन में 6 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश की है:
अभी देश में कई प्रकार की दालों का आयात होता है जिस पर सरकार का भारी-भरकम खर्च होता है. सरकार दलहन की खेती बढ़ाना चाह रही है लेकिन खरीफ फसलों की बुवाई का आंकड़ा निराशाजनक है. तुअर की खेती लगातार पिछड़ रही है. हाल में जारी आंकड़े में दलहन और तिलहन की खेती का रकबा कम हुआ है. इसे देखते हुए 6 साल के लिए 11,000 करोड़ रुपये का फंड अहम माना जा सकता है.(पीयूष मिश्रा और ऐश्वर्या पालीवाल की रिपोर्ट)