देशभर में कई राज्यों में बीते कुछ सालों में इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष के मामले बढ़े हैं. कम होते पानी, घटती हरियाली और कटते जंगलों के कारण जंगली जानवर मानव बस्तियों में खाने की तलाश में पहुंच रहे हैं. गांवों में और खेतों में हाथियों के झुंडों की घुसपैठ भी इसी कारण से बढ़ रही हैं. इस तरह के संघर्ष मध्य प्रदेश में भी देखे जाते हैं. लेकिन सरकार ने संघर्ष को कम करने के लिए मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट मीटिंग में जंगली हाथियों के प्रबंधन के लिए बड़ा फैसला लिया है. इसमें 47 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होगी.
हाथियों के जहां मानव बस्ती में घुसपैठ से जान-माल का नुकसान होता है, वहीं खेत में घुसने से किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है और निगरानी कर रहे किसान भी असुरक्षित महसूस करते हैं. लेकिन सरकार की इस प्लानिंग के चलते अब हाथियों की मूवमेंट वाले इलाकों में किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है.
मानव-हाथी द्वंद को कम करने और जंगली हाथियों के प्रबंधन का काम वित्तीय वर्ष 2024-24 से काम चल रहा है और इसे दो और वित्त वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिए बढ़ाया गया है. इस दौरान इन चारों वर्षों में कुल 47 करोड़ 11 लाख 69 हजार रुपये खर्च करने की योजना को सैद्धातिंक मंजूरी दी गई है.
योजना के तहत हाथियों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग के लिए वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में कुल एक करोड़ 52 लाख 54 हजार रुपये खर्च किए गए. अब वित्त वर्ष 2025-26 में योजना में राशि 20 करोड़ रुपये और वर्ष 2026-27 में 25 करोड़ 59 लाख 15 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है. इस तरह अब बचे हुए 2 साल और पिछले दो वित्त वर्षों के लिए योजना में कुल 47 करोड़ 11 लाख 69 हजार रुपये खर्च होने का प्रावधान किया गया है.
सरकार के मुताबिक, राज्य में हाथियों के लिए संरक्षित क्षेत्र, जहां उनका आवागमन या उपस्थिति है, उनमें और संरक्षित क्षेत्रों के बाहर जंगली हाथियों की सुरक्षा और मॉनिटरिंग, रहवास प्रबंधन और विकास के लिए योजना बनाई गई है. जंगली हाथियों की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम, वन्यजीव मानव द्वंद को रोकने के लिए विभिन्न संरचनाएं बनाई जाएंगी.साथ ही ई-आई सर्विलेंस बनाकर इसे चलाया जाएगा और वन्य-प्राणियों के रेस्क्यू और पुनर्वास के लिए काम किया जाएगा.
योजना के तहत प्रभावित क्षेत्रों में मानव-हाथी द्वंद से निपटने के लिए ग्रामीणों, वन विभाग और अन्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी. साथ ही इसमें सोलर फेंसिंग सहित विभिन्न प्रकार की फेसिंग का काम भी होगा. इसके अलावा
मानव-हाथी द्वंद को रोकने के लिए रैपिड रिस्पॉन्स टीम भी बनाई जाएगी और जरूरी उपकरण खरीदे जाएंगे. निगरानी और ट्रेकिंग के लिए पेट्रोलिंग वाहन और रेडियो कॉलर खरीदे जाएंगे और हाथी मित्र दल का गठन किया जाएगा.