इस आधुनिक युग में एक गांव ऐसा भी है जहां पुल-पुलिया या सड़क नहीं है. आलम ये है कि नदी पार करने के लिए लोगों को जुगाड़ लगाना पड़ता है. मामला बिहार के कैमूर का है. यहां कैमूर जिले के रामगढ़ और मोहनिया प्रखंड को जोड़ने वाली दुर्गावती नदी पर कोई पुल नहीं है. हालांकि लोगों की आवाजाही हमेशा बनी रहती है. इसलिए, लोगों ने जुगाड़ लगाते हुए नदी पार करने के लिए बिजली के खंबे का सहारा लिया है. नदी के ऊपर बिजली के खंबे की मदद से पुल बनाया गया है. इस पुल के सहारे हर रोज करीब 500 से अधिक लोग और स्कूली बच्चे आते जाते हैं.
दुर्गावती नदी पर बना सीमेंट के खंबे का पुल स्थानीय लोगों की मदद से बनाया गया है. नदी के दोनों तरफ करीब 1200 से अधिक बीघा में सब्जी सहित हर तरह की परंपरागत खेती की जाती है. वहीं बरसात के समय खाद या अन्य खेती और रोजमर्रा के सामान इस पार से उस पार लाने और ले जाने के लिए लोगों को 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
यहां नरहन गांव के रहने वाले देवेंद्र चौधरी अपने पांच साल के बेटे के साथ पुल पार करते हुए बताते हैं कि पुल नहीं बनने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. नदी के दोनों ओर खेत होने से हर रोज आना जाना लगा रहता है. वहीं ओम प्रकाश निषाद कहते हैं कि बरसात के समय नदी भर जाने के बाद करीब 15 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद लोग अपने खेत तक पहुंच पाते हैं. एक दो नाव है, लेकिन वह भी ठीक हालात में नहीं है. कई बार बरसात के मौसम में नाव डूब भी जाती है. अगर यहां पुल बन जाए, तो जीवन में काफी बदलाव आ जाएगा.
यहां के एक निवासी गोपाल मौर्य कहते हैं कि मोहनिया प्रखंड के अंतर्गत आने वाले बेलहरी, सराय, लूधपुरवा, बमहौर सहित कई गांव के लोगों के लिए यूपी की सीमा नजदीक हो जाएगी. इससे नदी के दक्षिण ओर रहने वाले किसान अपनी सब्जी यूपी के गाजीपुर जिला में आसानी से बेच पाएंगे. अभी 23 से 24 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यूपी जा पाते हैं. वहीं नदी के उत्तरी किनारे यानी रामगढ़ प्रखंड के नरहन, लबेदहा, जमुरना, सहुका सहित करीब 10 गांव के लोगों के लिए जिला मुख्यालय भभुआ और अनुमंडल मोहनिया की दूरी में सात से आठ किलोमीटर की कमी आ जाएगी. हाल के समय में मटियारी और सियापोखर होकर जाना पड़ता है.
यहां के निवासी ओम प्रकाश निषाद कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि इस समस्या को लेकर स्थानीय विधायक या मंत्री तक गुहार नहीं लगाई गई है. पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह से भी पुल बनाने के लिए फरियाद लगाई जा चुकी है. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. अभी भी अधिकारियों और विधायकों के बीच गुहार लगाने का सिलसिला जारी है. स्थानीय लोग पुल बनने के इंतजार में बैठे हुए हैं.