बिहार की भूमि जितनी उपजाऊ है, उतनी ही यहां की जमीन से जुड़े कागजातों में कई तरह की त्रुटियां भी देखने को मिलती हैं. आज भी कई जमीनें पूर्वजों के नाम पर दर्ज हैं, जबकि उनकी कई पीढ़ियां उस जमीन का उपयोग उनके नाम से कर रही हैं. इन समस्याओं के समाधान के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 16 अगस्त से राजस्व महाअभियान की शुरुआत की है. साथ ही, राज्य सरकार ने अभियान को अधिक प्रभावी और जनहितैषी बनाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. अब पंचायत स्तर पर जरूरत पड़ने पर दो से अधिक अतिरिक्त शिविर लगाए जा सकेंगे, ताकि हर आवेदक तक समय पर सेवा पहुंचाई जा सके.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी जिला समाहर्ताओं को निर्देश दिया है कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अंचल अधिकारी अतिरिक्त शिविर आयोजित कर सकते हैं. बशर्ते अभियान की अन्य गतिविधियों पर कोई असर न पड़े. उन्होंने कहा कि महादलित टोलों और बस्तियों तक विशेष ध्यान देकर जमाबंदी की प्रतियां और आवेदन प्रपत्र पहुंच जाएं. राजस्व महाअभियान के दौरान ऐसा देखने को मिल रहा है कि कई स्थानों पर बंदोबस्त की गई भूमि की प्रतियां समय पर महादलित परिवारों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. इसे देखते हुए वितरण दल को निर्देश दिया गया है कि वे प्राथमिकता के आधार पर वहां जाकर सेवा उपलब्ध कराएं, ताकि भूमि से जुड़ी त्रुटि का निपटारा सही समय पर हो सके.
विभाग के सचिव जय सिंह ने बताया कि राजस्व महाअभियान की समीक्षा के दौरान यह सामने आया कि कई हलकों में सिर्फ दो शिविरों से सभी समस्याओं का समाधान संभव नहीं हो पा रहा है, जिसे देखते हुए उस हल्का में लगने वाले शिविरों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों को उनके नाम से संबंधित भूमि अभिलेख भी उपलब्ध कराना होगा. इससे वे अभियान की निगरानी और जागरूकता में सक्रिय भूमिका निभा सकेंगे.
16 अगस्त से चल रहे राजस्व महाअभियान के तहत अभी तक करीब 12 लाख से अधिक आवेदन शिविर में जमा हो चुके हैं. वहीं, 20 सितंबर तक चलने वाले महाअभियान में करीब 3 करोड़ 60 लाख लोगों को जमाबंदियां वितरण करना है, जिसमें करीब 77.86 प्रतिशत से अधिक वितरण हो चुका है. इस दौरान ऑनलाइन जमाबंदी की प्रतियों का वितरण, त्रुटि सुधार, छूटे हुए अभिलेखों का ऑनलाइन पंजीकरण, बंटवारा, नामांतरण और उत्तराधिकार संबंधित आवेदन लिए जा रहे हैं. वहीं अतिरिक्त शिविरों की अनुमति मिलने से अधिक से अधिक ग्रामीणों को लाभ मिलने की उम्मीद है.