व्यापारियों ने किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) द्वारा सोमवार को बुलाए गए बंद के खिलाफ आवाज उठाई है. दोनों संगठनों ने पहले पंजाब बंद का आह्वान किया था, लेकिन अब उन्होंने अन्य राज्यों से भी समर्थन मांगा है. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी के लिए किसानों के आंदोलन के बीच दरार का संकेत देते हुए पंजाब के व्यापारियों और दुकानदारों के संगठन मंडल के उपाध्यक्ष अनिल बंसल ने कहा कि हमने 2020-21 के आंदोलन का दिल से समर्थन किया था और समर्थन देने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर भी गए थे. लेकिन किसी भी आंदोलन से उस राज्य के लोगों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.
बंसल ने कहा कि बार-बार पंजाब बंद लागू करना पंजाब को व्यापारिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से बर्बाद करने की साजिश है. हम पंजाब के लोगों किसानों और जवानों का सम्मान करते हैं और हमेशा करते रहेंगे. हालांकि, हम किसानों के वेश में पंजाब को बर्बाद करने वाले राजनीतिक अवसरवादियों का विरोध करते हैं और करते रहेंगे.
केएमएम और एसकेएम (गैर-राजनीतिक) इस साल 13 फरवरी से पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित शंभू और खनौरी में डेरा डाले हुए हैं और कई मांगें उठा रहे हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख एमएसपी को कानूनी गारंटी देना है. वहीं, खनौरी बॉर्डर पर एक महीने से भी अधिक समय से आमरण अनशन पर जगजीत सिंह डल्लेवाल बैठे हुए हैं.
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ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के संयोजक बदीश जिंदल ने कहा कि किसानों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे पंजाब के साथ हैं या पंजाब के खिलाफ. पिछली बार उद्योग जगत ने उनका दिल खोलकर समर्थन किया था, लेकिन इस बार हम पूरी तरह से आंदोलन के खिलाफ हैं. अगर चक्का जाम या रेल रोको होता है, तो इसका केंद्र पर क्या असर पड़ता है?, वहीं, इससे सिर्फ पंजाब की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. वहीं, लुधियाना के एक उद्योगपति ने कहा कि खनौरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या भले ही बढ़ रही हो, लेकिन आंदोलन को समर्थन वैसा नहीं है जैसा 2020-21 में था.
पिछले हफ्ते पंजाब बीजेपी के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावाल ने एक्स पर पोस्ट किया था कि किसान यूनियनें पंजाब में हैं, खनौरी और शंभू मोर्चा पंजाब में है, मरने वाले किसान पंजाब के हैं, रेल रोको आंदोलन पंजाब में है, पंजाब बंद पंजाब में है, धरने पंजाब में हैं, डल्लेवाल, शुभकरण (जिनकी इस साल की शुरुआत में विरोध प्रदर्शन के दौरान मृत्यु हो गई) और पंजाब के घायल युवा और बुजुर्ग, पंजाब के पीड़ित किसान, व्यापारी, युवा और अन्य अगर सब कुछ पंजाब में हो रहा है, तो यह पूरे देश का आंदोलन कैसे है? जवाब दें... आप पंजाब की माताओं के बेटों को दूसरों के लिए क्यों बलिदान कर रहे हैं? आप पंजाब की अर्थव्यवस्था को क्यों नुकसान पहुंचा रहे हैं?.
एसकेएम ने 4 जनवरी को टोहाना में किसान महापंचायत की घोषणा की है, जबकि एसकेएम (गैर-राजनीतिक) ने 4 जनवरी को खनौरी में इसी तरह की बैठक का आह्वान किया है, जिसमें अन्य राज्यों के किसान यूनियनों को आमंत्रित किया गया है, जिनके साथ डल्लेवाल ने अतीत में काम किया है. वहीं, रविवार को हरियाणा के हिसार में मिले हरियाणा और उत्तर प्रदेश के खाप नेताओं ने कहा कि जब तक किसान संगठन एकजुट होकर संघर्ष नहीं करेंगे, खाप उनका समर्थन नहीं करेगी.
किसान नेताओं से बातचीत के लिए 11 सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा करते हुए दहिया खाप के अध्यक्ष जयपाल सिंह दहिया ने कहा, “अगर एसकेएम एकता के लिए पंचायत करता है और पैनल को मध्यस्थता के लिए बुलाता है, तो हम जाएंगे. वहीं खापों ने डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर चिंता जताते हुए केंद्र से उनसे बातचीत करने की अपील की है. जयपाल सिंह ने कहा कि अगर सरकार उनसे बात नहीं करती है तो मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में महापंचायत की जाएगी.