कई महीनों के बाद आज जाकर किसानों का प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की 20वीं किस्त का इंतजार खत्म हो गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से देश के 9.7 करोड़ से ज्यादा किसानों के खातों में 20,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि डीबीटी के माध्मय से ट्रांसफर की. इस योजना की हर किस्त अब तक पीएम नरेंद्र मोदी जारी करते आए हैं और उनके कार्यक्रम के अलावा बीजेपी कई जगहों पर छोटे-बड़े स्तर पर लाइव प्रसारण का कार्यक्रम भी आयोजित करती है.
इसी क्रम में बिहार की राजधानी पटना में भी बीजेपी ने कार्यक्रम आयाजित किया, जिसमें केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए. उन्होंने यहां आएं हजारों किसानों को संबोधित किया. कार्यक्रम में बिहार के उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा, सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार समेत कई अधिकारी और बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए.
इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार की प्राथमिकता किसान कल्याण है और योजनाओं का लाभ अब बिचौलियों के बिना सीधे किसानों को मिल रहा है. शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब तक पीएम-किसान योजना के तहत 3.77 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि किसानों को दी जा चुकी है. उन्होंने कहा, “पहले 1 रुपये भेजते थे तो पूरा पैसा नहीं पहुंचता था, अब पूरा ₹1 सीधे खाते में जाता है.”
चौहान ने कहा कि बिहार सांस्कृतिक और कृषि विरासत से समृद्ध है. यह धरती भगवान बुद्ध की तपस्या और मां गंगा की प्रबलता से पवित्र है. उन्होंने बिहार की मेहनतकश जनता की प्रशंसा की और दुनिया में उनके योगदान की सराहना की. उन्होंने बिहार की ज्ञान परंपरा और श्रमशीलता की सराहना करते हुए कहा कि बिहार का ज्ञान और श्रम अतुलनीय है. यही भूमि महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की साक्षी भी रही है, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी.
उन्होंने प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादकता बढ़ाने, खासकर कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में, प्रधानमंत्री धन धान्य योजना जैसे कोशिशों पर जोर दिया. उन्होंने बिहार में मखाना उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान और कृषि विज्ञान को खेतों से जोड़ने की निरंतर कोशिशों का भी जिक्र किया. केंद्रीय मंत्री ने किसानों को उचित मात्रा में खाद और कीटनाशकों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया.
साथ ही फसल खराब होने की स्थिति में क्षतिपूर्ति के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से की जा रही कोशिशों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अब फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर होती है, जिसमें उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ जोड़ा जाता है, जो सरकार के किसान-केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाता है.