खुद को 'आरएसएस की बेटी' कहने वाली माधवी लता को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने हैदराबाद में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है. माधवी जो एक एक्ट्रेस रही हैं, अचानक से टिकट मिलने के बाद खबरों में आ गई हैं. हैदराबाद में माधवी को अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल है. लेकिन बीजेपी की तरफ से टिकट मिलने से पहले उन्हें तेलंगाना के राजनीतिक परिदृश्य में बहुत कम ही लोग जानते थे. ओवैसी के खिलाफ उन्हें मैदान में उतारने को विश्लेषक बीजेपी का महत्वपूर्ण फैसला करार दे रहे हैं. जानिए कौन हैं माधवी लता जो ओवैसी को लोकसभा चुनाव में देंगी चुनौती.
माधवी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह एक पारंपरिक महिला हैं. वह एक इंडस्ट्रीयलिस्ट, अस्पताल की मालकिन और एक प्रशिक्षित भरतनाट्यम नर्तक, कोम्पेला माधवी लता तेलंगाना में बीजेपी के लिए काफी अहम हैं. 49 वर्षीय और तीन बच्चों की मां लता का कहना है कि उनकी उम्मीदवारी की खबर उनके लिए हैरान करने वाली थी लेकिन वह काफी खुश हैं.
उनकी मानें तो उन्होंने कभी भी टिकट के लिए पैरवी नहीं की थी. माधवी एक ओजस्वी वक्ता हैं. वह उस्मानिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और बीजेपी के टिकट को अपने 18 सालों की मेहनत का नतीजा करार देती हैं. उनका कहना है कि उनके कामों को बीजेपी ने पहचाना है और इसलिए ही उन्हें टिकट मिला है.
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विशेषज्ञों के मुताबिक माधवी को ओवैसी के खिलाफ क्यों चुना गया, इस बात को समझना मुश्किल है. वह कभी भी पार्टी की एक मशहूर कार्यकर्ता नहीं रही है. हो सकता है कि उनके महिला होने की वजह के अलावा उनकी बोलने की कला और मुस्लिम महिलाओं के बीच उनके काम की वजह से ही उन्हें बीजेपी ने चुनाव में उतारने का मन बनाया हो.
वह लाथामा फाउंडेशन की ट्रस्टी भी हैं. लता के पति, विरिंची अस्पताल के संस्थापक, आईआईटी मद्रास से मैकेनिकल इंजीनियर हैं. उनकी दादी सेना में कार्यरत थीं. उनके तीन बच्चे हैं - दो बेटियां और एक बेटा. उनकी सबसे बड़ी बेटी आईआईटी मद्रास में बी.टेक की पढ़ाई कर रही है, जहां उनका बेटा भी पढ़ता है. उनकी सबसे छोटी बेटी 11वीं कक्षा में है. लता ने कहा है कि उन्होंने अपने तीन बच्चों को घर पर ही पढ़ाया है.
एआईएमआईएम ने चार दशकों से हैदराबाद लोकसभा सीट पर कब्जा कर रखा है. सलाहुद्दीन ओवैसी ने सन् 1984 से 1999 तक इस सीट पर चुनाव जीता. उसके बाद से यह उनके बेटे असदुद्दीन ओवैसी का गढ़ है. हैदराबाद लोकसभा सीट के तहत गोशामहल को छोड़कर सभी विधानसभा क्षेत्रों पर एआईएमआईएम का कब्जा है, जिसका प्रतिनिधित्व भाजपा के टी राजा सिंह करते हैं.
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बीजेपी ने साल 2014 और 2019 में पार्टी के दिग्गज भगवंत राव पवार को यहां से टिकट दिया था. लेकिन इस बार लता को चुना गया है. पवार दोनों ही चुनावों में ओवैसी से भारी अंतर से हार गए थे. सूत्रों ने कहा कि संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार, लता के गुरु हैं. उनकी निकटता ने ही उन्हें बीजेपी की तरफ से लता को अपना उम्मीदवार चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. लता तीन तलाक की घोर आलोचक रही हैं. वह पुराने शहर के याकूतपुरा की संतोष नगर कॉलोनी में एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी हैं. लता ने मतदाता सूची से दो लाख से ज्यादा हिंदू मतदाताओं को अवैध रूप से हटाने का भी दावा किया है. उनका कहना है कि यह परंपरा पिछले चार दशकों से चली आ रही है और इसलिए ओवैसी जीतते आ रहे हैं.