जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होने हैं जिसका आगाज 18 सितंबर से हो जाएगा. एक दशक के बाद हो रहे इन चुनावों पर सबकी नजरें हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी इन चुनावों के लिए अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो बीजेपी के लिए घाटी में होने वाला चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है. वहीं एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीजेपी घाटी में अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने का मन बना रही है. बताया जा रहा है कि बीजेपी कश्मीर में निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ साझेदारी कर सकती है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी जहां जम्मू में अकेले उतरने की तैयारी कर रही है तो वहीं कश्मीर घाटी में उसकी नजरें निर्दलीय उम्मीदवारों पर टिकी हुई हैं. अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से यह पहला चुनाव है, जिसमें नए उम्मीदवार होंगे. केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, उधमपुर के सांसद जितेंद्र सिंह और पार्टी महासचिव तरुण चुग सहित सीनियर बीजेपी लीडर्स ने जम्मू में पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के लिए तीन चरणों में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की है. 18 सितंबर को पहला चरण, 25 सितंबर को दूसरा और 1 अक्टूबर को आखिरी चरण का मतदान होगा. 4 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी.
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अखबार ने पार्टी के राज्य प्रभारी चुघ के हवाले से लिखा है कि बीजेपी विधानसभा चुनावों के लिए तैयार है और इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. जब उनसे पार्टी के मुख्य चुनावी मुद्दे के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद गुज्जर बकरवाल, एससी, पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और महिलाओं को अधिकार मिले. साथ ही एम्स के खुलने, कश्मीर तक ट्रेनें पहुंचने और कई और पहलों के साथ जम्मू-कश्मीर में विकास का एक नया युग शुरू हुआ है.
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बीजेपी के राज्य प्रमुख रविंदर रैना ने कहा कि पार्टी किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं करेगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि कश्मीर में कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ किसी तरह का गठबंधन हो सकता है. रैना ने कहा, ' बीजेपी, जम्मू-कश्मीर में किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं करेगी. कश्मीर घाटी में, हम 8 से 10 निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ बात कर रहे हैं. ' पार्टी के सूत्रों की मानें तो बीजेपी कई नए चेहरों को मैदान में उतारना चाहती है जिनमें से कुछ की उम्र 40 साल से कम होगी.
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जम्मू-कश्मीर में एक दशक के बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और अनुच्छेद 370 के खत्म होने और राज्य के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा. साल 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे आगे थी. उसके बाद बीजेपी 25 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी. पीडीपी ने कश्मीर घाटी में अपनी सभी सीटें और बीजेपी ने जम्मू में अपनी सभी सीटें जीती थीं.
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अब परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में कुल सीटें बढ़कर 114 हो गई हैं, जिनमें से 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए रिजर्व हैं. बाकी 90 सीटों में से 43 सीटें जम्मू डिविजन में और 47 कश्मीर डिविजन में हैं. साल 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें थीं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 34 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की, जबकि बीजेपी ने 29 सीटों पर बढ़त हासिल की.