किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवबंर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं. आज उनकी अनशन का 43वां दिन है. बीती रात अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उनकी पल्स रेट 42 पर पहुंच गई. साथ ही ब्लड प्रेशर भी 80/56 पहुंच गया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी जगजीत सिंह डल्लेवाल का हालचाल जानने के लिए किसान मोर्चे पर पहुंची. कमेटी में नवाब सिंह, देविंदर शर्मा, रंजीत घुम्मन, सुखपाल खैरा, बी एस संधू और अन्य प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे. कमेटी के चेयरमैन नवाब सिंह ने जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की.
जगजीत सिंह डल्लेवाल जी ने नवाब सिंह से कहा कि मेरी ज़िंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण उन किसानों की जिंदगियां थीं, जिन्होंने सरकारों की गलत नीतियों के कारण आत्महत्या कर ली. आत्महत्या करने वाले किसानों के अनाथ बच्चों की जिंदगियां मेरी ज़िंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि मैं ज़िंदा रहूंगा या नहीं, MSP गारंटी कानून बनना ज्यादा महत्वपूर्ण है.
उन्होंने नवाब सिंह से निवेदन किया कि आप सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना करें कि केंद्रीय कृषि मंत्री कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वो मानेंगे तो ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश दे कि खेती के विषयों पर बनी संसद की स्थायी कमेटी की रिपोर्ट का सम्मान करते हुए MSP गारंटी कानून बनाया जाए, ताकि किसानों की आत्महत्या बंद हो सके.
ये भी पढ़ें - 'नई कृषि मार्केटिंग पॉलिसी से किसानों के हित की बलि चढ़ेगी', चढूनी ने कमेटी के अध्यक्ष फैज अहमद को लिखा पत्र
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि 2018 में जबलपुर हाइकोर्ट भी फैसला कर चुका है कि किसी भी APMC मंडी में किसी भी फसल की पहली बोली सरकार द्वारा घोषित MSP से नीचे नहीं होनी चाहिए, लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी हाइकोर्ट के उस फैसले का सम्मान नहीं किया जा रहा है. जगजीत सिंह डल्लेवाल जी कहा कि जब तक वाहेगुरु का आशीर्वाद है, तब तक उन्हें कुछ नहीं होगा. केंद्र सरकार को बिना देरी के किसानों के मुद्दों का हल करने का प्रयास करना चाहिए.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की ओर से जारी संयुक्त बयान में किसान नेताओं ने कहा कि वे 10 जनवरी को देशभर में गांव स्तर पर मोदी सरकार के पुतले जलाए जाएंगे, ताकि सरकार को यह पता चल जाए कि सभी गांवों के लोग MSP गारंटी कानून और जगजीत सिंह डल्लेवाल के पक्ष में खड़े हैं.