देश के कई राज्यों में किसान पराली जला रहे हैं, लेकिन यूपी, पंजाब और हरियाणा में जलाई गई पराली से न सिर्फ स्थानीय प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाता है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर बैन लगाया है और इसका उल्लंघन करने वाले किसानों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, जिसके आधार पर राज्यों की सरकारें ऐसे किसानों पर कार्रवाई कर रहीं हैं. सरकार की कार्रवाई को लेकर किसान और किसान संगठन विरोध जता रहे हैं. किसान नेता सुरेश कोथ ने कहा है कि हम जुर्माने का एक पैसा नहीं देंगे.
अंबाला में किसान नेता सुरेश कोथ ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ हरियाणा सरकार की ओर से की जा रही सख्त कार्रवाई की आलोचना की है. सुरेश कोथ ने चेतावनी दी है कि ये नीतियां किसानों में और अशांति बढ़ा सकती हैं. सरकार पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर रही है. वहीं, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने से मना करने जैसी समेत अन्य कार्रवाई कर रही है. अंबाला में अनाज मंडी के दौरे पर पहुंचे सुरेश कोथ ने सरकार की नीतियों पर असंतोष जाहिर किया.
उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन हर गांव में पराली प्रबंधन मशीनें उपलब्ध कराता है तो किसान खुद ही पराली नहीं जलाएंगे. किसान नेता ने तर्क दिया कि प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से किसान जिम्मेदार नहीं है, बल्कि उद्योगों की वजह से प्रदूषण फैल रहा है. उन्होंने सरकार से किसानों को दंडित करने के बजाय मूल समस्याओं को दूर करने का आग्रह किया. सुरेश कोथ ने नमी की मात्रा के कारण धान की खरीद के दौरान की जाने वाली कटौती पर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने स्थानीय किसान नेता सुखविंदर सिंह जलबेड़ा को अपने संगठन का जिला प्रधान नियुक्त किया है.
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सुरेश कोथ ने कहा, "किसानों द्वारा पराली जलाए जाने का प्रदूषण में मात्र 3 से 4 प्रतिशत योगदान है. प्रदूषण के लिए उद्योग और वाहन ज्यादा जिम्मेदार हैं. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह किसानों के प्रति इतनी तानाशाही न दिखाए, जहां-जहां किसानों को मशीनें नहीं दी गई हैं, वहां-वहां पराली जलाई जा रही है. मशीनों के लिए विश्व बैंक से भारी भरकम धनराशि भेजी जाती है, जो किसानों को नहीं दी जाती. यह तानाशाही किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम एक पैसा भी जुर्माना नहीं देंगे."
किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने एक आदेश में कहा है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशों के अनुसार, 15 सितंबर से चालू सीजन के दौरान धान की पराली जलाने वाले सभी किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए. इसके अलावा ऐसे किसानों के मेरी फसल मेरा ब्यौरा (एमएफएमबी) रिकॉर्ड में एक रेड एंट्री की जानी चाहिए, जिससे ये किसान अगले दो सीजन के दौरान ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से मंडियों में एमएसपी पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे. (एएनआई)