देश में अगले कुछ महीने में तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसमें सबकी नजरें महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव पर टिकी हुई हैं. राज्य की विधानसभा का कार्यकाल इस साल नवंबर में खत्म हो रहा है. लोकसभा चुनावों के बाद यह बड़ा चुनाव होने वाला है जिस पर सबकी नजरें टिकी हैं. इसमें एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन और विपक्षी महाअघाड़ी गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी. चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई तारीख घोषित नहीं की गई है लेकिन माना जा रहा है कि नवंबर में चुनाव हो सकते हैं.
माना जा रहा है कि राज्य में अक्टूबर महीने में राज्य में चुनावी आचार संहिता लागू हो सकती है. साथ ही अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में चुनाव विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. लेकिन अगर चुनाव आयोग से जुड़ी हालिया रिपोर्ट्स पर अगर यकीन किया जाए तो विधानसभा चुनाव दिवाली के बाद यानी 5-15 नवंबर के बीच होंगे. हालांकि इस पर चुनाव आयोग की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. मेगा चुनावों की घोषणा से पहले बस कुछ ही दिन बचे हैं, दोनों गठबंधन, महा विकास अघाड़ी और महायुति गठबंधन आगामी चुनावी लड़ाई में बहुमत हासिल करने के लिए कमर कस रहे हैं. महाअघाड़ी में शिवसेना यूबीटी, एनसीपी-एसपी और कांग्रेस शामिल हैं. जबकि महायुति में बीजेपी, शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी शामिल हैं.
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राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी अटकलें हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव दिवाली के बाद पांच से 20 नवंबर के बीच कराए जा सकते हैं. कुछ ही दिनों में तारीखों के बारे में आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है. शुरुआत में माना जा रहा था कि हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में एक साथ होंगे. दोनों राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमशः 3 और 26 नवंबर को खत्म हो रहा है. हालांकि, कुछ राजनीतिक कारणों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि महाराष्ट्र में चुनाव में देरी होगी और नवंबर में चुनाव होंगे. महायुति सरकार के अंदर इस समय काफी उठक-पटक जारी है. महायुति गठबंधन को हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में बड़ा झटका लगा था, जिसमें उसे 48 में से केवल 17 सीटें ही मिलीं.
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साल 2024 के लोकसभा चुनावों में, महाराष्ट्र में महाअघाड़ी विजेता बनकर उभरी.इस गठबंधन ने राज्य की 48 सीटों में से 30 सीटें जीतीं थीं. जबकि महायुति ने 17 सीटें जीतीं. एक सीट, सांगली, कांग्रेस के बागी, निर्दलीय उम्मीदवार विशाल पाटिल के खाते में गई. सरकार के लिए एक और चुनौती मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच बढ़ते तनाव और राज्य में चल रहे आंदोलन है. विशेषज्ञों की मानें तो इन नाजुक परिस्थितियों में राज्य में चुनाव कराने से महायुति के नेतृत्व वाली सरकार को और नुकसान हो सकता है. इसलिए सरकार को महत्वपूर्ण राज्य चुनावों की योजना बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय की जरूरत होगी.