केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को सीहोर विदिशा संसदीय क्षेत्र के सीहोर जिले से विकसित भारत संकल्प यात्रा का शुभारंभ किया. शिवराज सिंह ने इस दौरान लाड़कुई में प्रधानमंत्री आवास योजना, वन विभाग की योजनाओं और आदिम जाति कल्याण की योजनाओं के हितधारकों से बातचीत की. साथ ही भादाकुई और छींदगांव में जैविक खेती, वाणिज्यिक खेती, उद्यानिकी व स्वरोजगार पर चर्चा की और लाड़ली बहना व लखपति दीदीयों से भी वार्ता की.
कृषि मंत्री ने कहा कि विकसित का मतलब केवल पुल, पुलिया, स्कूल, अस्पताल नहीं है. इसके आगे भी विकास का ये सिलसिला जारी रहे. विकसित भारत मतलब जहां मानवीय गरिमा का सम्मान होता हो, जहां गरीब भी किसी ना किसी साधन से जुड़ा हो, यहां की बहनों कि आमदनी ऐसी हो कि वह शौर्य और स्वाभिमान के साथ अपनी जिंदगी बिता सकें. विकसित भारत सिर्फ प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक नहीं बना सकते हैं. इसके लिए हम सबको कोशिश करनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए गांव-शहर का हर इंसान गंभीर हो. वह सोचे कि मैं अपना गांव विकसित करने के लिए क्या योदगान दे सकता हूं, हमारा गांव स्वच्छ होना चाहिए, यहां पानी का संरक्षण होना चाहिए, यहां के स्कूल अच्छे हो, यहां की आंगनबाड़ी अच्छी हो, यहां महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप बने हो, जो बहनों की आमदनी बढ़ाएं और रोजगार के साधन उत्पन्न कर रहे हो. बच्चों में टैलेंट और क्षमताएं बढ़ें, वो लगातार आगे बढ़ते रहे.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं आज एक अलग मकसद से इस पदयात्रा पर निकला हूं. उन्होंने कहा कि आज उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छे बीज बनाने वाली संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक भी मेरे साथ इस पदयात्रा में आए हैं. ये वैज्ञानिक खेतों में जाकर किसानों से बात करेंगे, उन्हें अनुसंधान के बारे में जानकारी देंगे. इसके अलावा इस पदयात्रा में हम जनजातीय बहनों-भाइयों से भी चर्चा करेंगे. बहनों के सेल्फ हेल्प ग्रुप से भी चर्चा करेंगे, नौजवानों से भी केन्द्र सरकार की तमाम योजनाओं के बारे में बात करेंगे. प्रधानमंत्री आवास योजना के हितधारकों से भी हम चर्चा करेंगे.
केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण पीएम मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता है. कृषि को फायदे का धंधा बनाने के लिए अब 29 मई से विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरूआत की जा रही है. इस अभियान के तहत वैज्ञानिकों की 2170 टीमें बनाई जा रही है. एक टीम में 3 से 4 वैज्ञानिक होंगे जो गांव-गांव जाएंगे और उस गांव की और आसपास के क्षेत्र की जो एग्रोक्लाइमेट कंडिशंस हैं. वहां की मिट्टी में जो अलग-अलग पोषक तत्व हैं, वहां जलवायु परिवर्तन के असर, अलग-अलग फसलों में कीटों का प्रकोप है, इन सभी विषयों को समझकर, वैज्ञानिक, किसानों को सलाह देंगे और किसान भी अपने सवाल पूछेंगे, अपनी समस्याएं बताएंगे, ये संवाद एकतरफा नहीं बल्कि दोतरफा होगा.
शिवराज सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक किसानों को आधुनिक रिसर्च के बारे में बताएंगे कि इन परिस्थितियों में इस क्षेत्र में कौन सी फसल उपयुक्त है, कौन सी वैरायटी सही है, कौन सा बीज लगाएं, कौन सा खाद कितनी मात्रा में डालें, अगर कहीं वायरस अटैक हो तो उससे फसलों को कैसे बचाएं, इसके साथ-साथ किसानों से भी कई चीजें निकलकर आएगी, किसानों की जरूरत के हिसाब से रिसर्च हो रहा है या नहीं तो किसानों से सुनकर रिसर्च की दिशा भी तय करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा है कि लैब टू लैंड, यानी अनुसंधान खेतों तक पहुंचें, इसलिए ये विकसित भारत के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान बना है.
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