सर्दियों में जब सुबह खेतों पर कोहरे की सफेद चादर बिछी दिखती है तो अक्सर किसानों के मन में चिंता पैदा होती है. लेकिन, कृषि विज्ञान बताता है कि हल्का और सीमित समय का कोहरा कई फसलों के लिए नुकसान नहीं, बल्कि वरदान साबित होता है.
कोहरा असल में हवा में मौजूद बेहद महीन जल कणों का समूह होता है. ये कण रात और सुबह के समय फसलों की पत्तियों, तनों और मिट्टी की ऊपरी सतह पर जम जाते हैं. इससे खेत को बिना सिंचाई के हल्की नमी मिल जाती है. गेहूं, सरसों, चना, मटर और मसूर जैसी रबी फसलों के लिए यह नमी बहुत फायदेमंद मानी जाती है.
कोहरे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह खेत से नमी के तेजी से उड़ने यानी वाष्पीकरण (Evaporation) को रोकता है. जब धूप कमजोर रहती है और वातावरण ठंडा बना रहता है, तो मिट्टी में मौजूद पानी ज्यादा समय तक बना रहता है. इसका सीधा मतलब है कि फसल को लंबे समय तक नमी मिलती है और सिंचाई का अंतर बढ़ जाता है. (Photo- AI Generated Image)
ठंड में कोहरा दिन और रात के तापमान के बीच अंतर को भी कम करता है. इससे पौधों पर अचानक ठंड का झटका नहीं लगता. वैज्ञानिक भाषा में इसे थर्मल स्ट्रेस कम होना कहा जाता है. यही वजह है कि कोहरे वाले मौसम में गेहूं की बढ़वार अक्सर संतुलित रहती है और दाने भरने की प्रक्रिया बेहतर होती है.
एक और अहम फायदा यह है कि हल्का कोहरा पाले के खतरे को कुछ हद तक कम कर देता है. कोहरे की परत खेत के ऊपर एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच जैसा काम करती है, जिससे अत्यधिक ठंड सीधे पौधों की कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचा पाती.
कोहरे से मिट्टी के अंदर मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीव भी सक्रिय रहते हैं. ये सूक्ष्म जीव मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध रूप में बदलते हैं. इससे जड़ों की पकड़ मजबूत होती है और पौधे स्वस्थ रहते हैं.
हालांकि, यह समझना जरूरी है कि हर कोहरा फायदेमंद नहीं होता. अगर कोहरा बहुत घना हो और कई दिनों तक लगातार बना रहे तो इससे फंगल रोगों का खतरा बढ़ जाता है. जैसे गेहूं में रतुआ और सब्जियों में झुलसा रोग. इसलिए कोहरे के दौरान खेत की नियमित निगरानी जरूरी होती है.