रबी सीज़न के लिए प्याज की बुआई शुरू हो गई है. इस बीच केंद्र का एक आकलन है कि खराब मौसम के कारण 2023-24 के उत्पादन में 25 प्रतिशत की गिरावट की आ सकती है. देश के कुल प्याज उत्पादन में रबी प्याज की हिस्सेदारी 75-80 प्रतिशत है. भूजल घटने से रकबा कम होने की संभावना है.
प्याज के बढ़ते दाम के बीच ऐसे अनुमानों से केंद्र सरकार की चिंता बढ़ गई है. सरकार के प्रारंभिक अनुमान से पता चलता है कि रबी प्याज का उत्पादन 2023-24 सीज़न में पिछले सीज़न के 220 लाख टन से घटकर 165 लाख टन हो सकता है.
पिछले पांच वर्षों के दौरान देश के वार्षिक प्याज उत्पादन में 75-80 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला रबी प्याज अप्रैल से बाजार में आना शुरू हो जाता है. रबी सीजन के प्याज का ही भंडारण किया जाता है, जो दिसंबर तक चलता है. यह भी अनुमान है कि महाराष्ट्र में रबी सीज़न के प्याज का उत्पादन पिछले साल के लगभग 93 लाख टन से गिरकर इस साल 37.4 लाख टन हो सकता है. जबकि अन्य राज्यों में, यह 2022-23 कटाई स्तर के आसपास रह सकता है.
सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में प्याज का रकबा बढ़ाने पर विचार कर रहा है क्योंकि अन्य राज्यों में इसकी बहुत कम गुंजाइश बची है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में प्याज का रकबा घटा है. कभी सूखे और कभी अतिवृष्टि की मार से फसल खराब हुई है. किसानों को दाम भी नहीं मिला है, जिससे परेशानी बढ़ी है. रकबा कम हो गया है.
अब रबी प्याज के बारे में आगे की योजना बनाने में बहुत देर हो चुकी है. यदि प्याज की खेती का चुनाव करते समय पौध उपलब्ध नहीं है तो किसानों को इसकी खेती लिए प्रेरित करना मुश्किल है. इसलिए योजना पहले बनानी होगी, अन्यथा रकबा नहीं बढ़ेगा. महाराष्ट्र के किसान प्याज़ के मुद्दे पर केंद्र से नाराज हैं. इसकी भरपाई दूसरे क्षेत्रों से कैसे होगी. हरियाणा ने इस सीजन में अपने सामान्य क्षेत्र से 1,000 एकड़ अतिरिक्त क्षेत्र में प्याज लगाया है. लेकिन, महाराष्ट्र के नुकसान की भरपाई इससे होना मुश्किल है.
अनुमान है कि हरियाणा में रबी प्याज का रकबा पिछले साल के 15,200 हेक्टेयर से बढ़कर 16,000 हेक्टेयर से अधिक हो गया है. जब तक सरकार अभी से उपाय नहीं करती, जहां भी संभव हो, प्याज के तहत कुछ अतिरिक्त क्षेत्र लाना है, ताकि अगले साल घरेलू मांग को पूरा किया जा सके. किसानों को उनकी फसल के लिए एक सुनिश्चित मूल्य गारंटी से उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है.